एनसीयूआई के अध्यक्ष डॉ. चंद्र पाल सिंह यादव ने किसानों की आय दोगुनी करने में एफपीओ और सहकारिता के बीच तालमेल की वकालत की। यादव ने यह बात बुधवार को दिल्ली में एनसीयूआई सभागार में आयोजित एनसीयूआई की एजीएम में कही।
एफपीओ को समर्थन देने में सरकार की पहल का स्वागत करते है लेकिन सहकारी समितियों को भी इसी वर्ग में रखना चाहिए। चंद्र पाल ने कहा, “सहकारी संस्थान पुराने संगठन हैं और वैधानिक कानूनों के अनुसार चलाए जाते हैं। दोनों के बीच तालमेल बढ़ाने से समाज की विभिन्न समस्याओं को सुलझाने में मदद मिलेगी”।
बता दें कि एनसीयूआई के अध्यक्ष के रूप में चंद्रपाल का यह आखिरी भाषण था। यादव ने कई अन्य मुद्दों पर बातचीत की। उन्होंने व्यापार करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में सहकारी समितियों के बीच मौजूदा रुझान का समर्थन किया। यादव सहकारी समितियों में स्टार्ट-अप के विचार के भी पक्ष में थे। उन्होंने कृषि उत्पादों के निर्यात में सरकार के प्रयासों में शामिल होने के लिए उत्सुकता दिखाई।
एजीएम में लगभग सभी जेनरल काउंसिल के सदस्य और राज्यों से आए बड़ी संख्या में प्रतिनिधियों ने भाग लिया। एजीएम में बोलते हुए अध्यक्ष ने कहा, “दुनिया में एक अरब लोग कृषि से जुड़े हुए हैं और सहकारिता यहां एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं; सहकारिता को मजबूत करने का अर्थ है अर्थव्यवस्था की रीढ़ को मजबूत करना”।
उन्होंने कहा, “यहां तक कि किसानों की आय दोगुनी करने में प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करने में सहकारिता अहम भूमिका निभा सकती है।” हमें अन्य चीजों के अलावा, इस दृष्टि को प्राप्त करने के लिए कई और गोदामों और पैक्सों की आवश्यकता है।
डॉ. यादव ने यह भी मांग की कि प्रत्येक ब्लॉक में सभी पैक्स को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाना चाहिए और उन्हें मॉडल एजेंसियों के रूप में कार्य करना चाहिए। सरकार की योजनाओं को पैक्स के माध्यम से लागू किया जाना चाहिए। यादव ने को-ऑप्स के देश-भर में फैल के विशाल नेटवर्क की ओर इशारा किया।
“लेकिन दुख की बात है कि ये पैक्स कभी-कभी आयकर विभाग के शिकार हो जाते हैं और उनके उत्पीड़न के मामलों की भरमार है। हमने पूर्व में सरकार को इस बारे में अवगत कराया है और वर्तमान में भी ऐसा कर रहें हैं”, यादव ने बताया।
चंद्र पाल ने को-ऑप स्टार्ट-अप के लिए कोष बनाने की एनसीडीसी की हालिया पहल की भी सराहना की। उन्होंने शहरी सहकारी बैंकों के लिए अमब्रेला संगठन की आवश्यकता पर भी जोर दिया। यादव ने कहा, “हमने सरकार को कृषि निर्यात के क्षेत्र में योगदान करने की अनुमति देने के लिए पत्र लिखा है और हम अपनी मांग को एक बार फिर रखते हैं”।
यादव ने पंजाब के सहकारिता मंत्री के सुझाव की भी सराहना की, जिन्होंने राज्यों के को-ऑप मंत्रियों के लिए एक फोरम बनाने के विचार को रखा था।
इस अवसर पर, उन्होंने एनसीयूआई और उसके द्वारा वर्ष में किए गए कार्यों को सूचीबद्ध किया। उन्होंने कहा कि एनसीसीई ने 80 के लक्ष्य से आगे बढ़कर 131 से अधिक कार्यशालाएँ आयोजित कीं और 4459 से अधिक सहकारी समितियों को विभिन्न राज्यों में प्रशिक्षित किया।
यादव ने समाज के गरीब और महिला वर्ग की मदद करने के उद्देश्य से सम्पन्न कार्यशालाओं को भी उद्धृत किया।
अपनी टिप्पणी के अंत में, उन्होंने एनसीयूआई से एनसीसीटी के अलग होने का उल्लेख किया और कहा कि इसे एनसीयूआई में वापस लाने की उनकी इच्छा है। उन्होंने कहा, “अदालत में मामले चल रहे हैं लेकिन मैं अदालत से बाहर निपटारे के पक्ष में हूँ“। वह एनसीयूआई के अध्यक्ष के रूप में पद छोड़ने से पहले इस मुद्दे का समाधान निकालने के प्रति आश्वस्त हैं।
एनसीयूआई के उपाध्यक्ष बिजेन्द्र सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन का प्रस्ताव रखा, लेकिन इसके पहले उन्होंने भारत या एशिया ही नहीं, बल्कि एक वैश्विक सहकारी नेता के रूप में अपने करीबी मित्र चंद्र पाल की प्रशंसा भी की।