शहरी सहकारी बैंकों की शीर्ष संस्था नेफकॉब ने पिछले हफ्ते अपनी 43वीं एजीएम का आयोजन दिल्ली स्थित एनसीयूआई सभागार में किया, जिसमें एक के बाद एक सहकारी नेताओं ने कॉर्पोरेट कंपनियों की तर्ज पर सहकारी क्षेत्र को भी टैक्स पर छूट देने की मांग की।
देश-भर के विभिन्न हिस्सों से पधारे सहकारी नेताओं को संबोधित करते हुए, नेफकॉब के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने कहा, “अब हम सहकारी क्षेत्र के साथ हो रहे पक्षपात को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे और हमने आरबीआई को एक चिट्ठी लिखकर अवगत कराया है कि यदि हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो हमारे पास कानून का सहारा लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है”।
दरसल मेहता ने बीओएम/बीओडी के मुद्दे का जिक्र कर रहे थे जिसके चलते पिछले साढ़े तीन साल से किसी भी यूसीबी को नई शाखा खोलने की अनुमति नहीं मिली है। इससे उनकी गतिविधियां पर पूर्ण विराम लग गया है। उन्होंने कहा, “हमने आरबीआई से मांग की थी कि केवल एक शाखा वाले बैंकों को अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए नई शाखा खोलने का लाइसेंस दिया जाए लेकिन अभी तक सब ठंडे बस्ते में पड़ा है। ऐसे बैंकों की संख्या 392 है“, उन्होंने बताया।
वाणिज्यिक बैंकों के साथ यूसीबी के एनपीए की तुलना करते हुए, मेहता ने महसूस किया कि वाणिज्यिक बैंकों के लिए व्यावसायिकता का घिसा-पिटा तर्क बेतुका है। उन्होंने कहा कि यूसीबी का औसत एनपीए 7.1% है जबकि पीएसयू बैंकों का 11.2% है। पीएसयू सेक्टर में कई ऐसे बैंक हैं जिनका एनपीए 20% या उससे भी अधिक है। उन्होंने इस मौके पर कई पीएसयू बैंकों के नामों का हवाला भी दिया।
मेहता ने दर्शकों को आश्वासन भी दिया कि नेफकॉब इस लड़ाई में सभी का साथ लेगा। उन्होंने कहा कि चूंकि अमित शाह सहकारी क्षेत्र से हैं, इसलिए वह हमारे मुद्दों को बेहतर तरीके से जानते हैं और जल्द ही वे (मेहता) उनसे मुलाकात करेंगे।
लेकिन उन्होंने “अम्ब्रेला संगठन” के काम को आगे बढ़ाने के लिए आरबीआई का धन्यवाद किया और इसे गेम-चेंजर बताया। मेहता ने कहा, “हमें आरबीआई से 6 जून का एक पत्र मिला है, जिसमें कुछ शर्तों को निर्धारित किया गया है, जिसके तहत नेफकॉब अम्ब्रेला संगठन के गठन के लिए आगे बढ़ सकता है”, मेहता ने दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच घोषणा की।
मेहता ने बताया कि अम्ब्रेला संगठन की स्थापना की प्रक्रिया चल रही है और विवरण पर काम किया जा रहा है। बाद में आरबीआई के पूर्व ईडी वी एस दास ने इस विषय पर एक प्रस्तुति दी।
मेहता के बाद बोलते हुए नेफकब के चेयरमैन एमेरिटस एच के पाटिल ने कहा कि ‘अम्ब्रेला संगठन” एक सपने के सच होने जैसा है। पाटिल ने कहा, “यह एक गर्व का क्षण है क्योंकि हम अपने सपने को साकार करने के कगार पर हैं”। इस सेक्टर के प्रदर्शन की सराहना करते हुए, पाटिल ने कहा कि अगले एजीएम से पहले सेक्टर अपने एनपीए को 7% से घटाकर 5% पर लेकर आएगा।
‘अम्ब्रेला संगठन” को वास्तविकता बनाने के सभी प्रयासों के लिए मेहता और उनकी टीम की सराहना करते हुए, पाटिल ने आह्वान किया कि हर संस्था ‘अम्ब्रेला संगठन” की अवधारणा का समर्थन करे। “हम 600 हजार लाख के मजबूत क्षेत्र हैं, लेकिन बिखरे हुए होने के कारण हमें गंभीरता से नहीं लिया जाता है; पाटिल ने कहा कि अब एक अम्ब्रेला के नीचे एकजुट होने का मौका हमारे सामने है।
बाद में नेफकॉब एजीएम ने आयकर में कटौती के लिए एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कॉर्पोरेट कर के साथ समानता की मांग की गई। “यह पिछले शुक्रवार को हमारी बोर्ड की बैठक में पारित किया गया था और हम इसे एजीएम में पारित करना चाहते है”, नेफकॉब के अध्यक्ष ने कहा।
वी एस दास ने आगामी अंब्रेला संगठन पर एक प्रस्तुति दी जिसमें आरबीआई द्वारा निर्धारित शर्तों का विवरण दिया गया है जैसे कि अम्ब्रेला संगठन की सदस्यता स्वैच्छिक होगी। उन्होंने कहा, ” अम्ब्रेला संगठन को एनबीएफसी के रूप में पंजीकृत किया जाएगा जो 4-5 वर्षों के सकारात्मक अनुभव के बाद बैंक में परिवर्तित हो जाएगा।”
हालांकि कई प्रतिनिधि अम्ब्रेला संगठन को एनबीएफ़सी के रूप में पंजीकृत होने से नाखुश थे और चाहते थे कि इसे को-ऑप अधिनियम के तहत पंजीकृत किया जाये। अंत में लोगों को समझाने के लिए दास, मेहता और पाटिल को हस्तक्षेप करना पड़ा तथा कंपनी अधिनियम के तहत अम्ब्रेला संगठन को पंजीकृत करने की मजबूरी को बताया गया। मेहता ने प्रतिनिधियों को समझाने का प्रयास किया, “हमने प्रयास किया कि ये कॉप एक्ट में पंजीकृत हो लेकिन ये संभव नहीं था। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यह किसी एक बड़े समूह के एकाधिकार में न हो।”
नेफकॉब एजीएम में सारस्वत बैंक के अध्यक्ष गौतम ठाकुर, उदय जोशी समेत अन्य कुछ लोगों ने पहली बार बैठक में शिरकत की। स्मरणीय है कि गौतम ठाकुर को बोर्ड ने सहयोजित निदेशक के रूप में चुना था, जिसका इस क्षेत्र से जुड़े कई लोगों ने स्वागत किया।