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इफको ने कॉरपोरेट की तर्ज पर टैक्स में राहत देने की मांग की

इफको ने सरकार को पत्र लिखकर एक बार फिर कॉर्पोरेट कंपनियों की तर्ज पर सहकारी क्षेत्र को भी टैक्स में छूट देने की बात को दोहराया है।

“कॉर्पोरेट और सहकारी समितियों पर आयकर दरों के बीच विसंगति को दूर करने के लिए अनुरोध” विषय पर एमडी डॉ. यूएस अवस्थी द्वारा लिखा गया इफको का पत्र विनम्र और प्रतिष्ठापूर्ण दोनों हैं।

अवस्थी लिखते हैं, “कराधान कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2019 (क्र॰संख्या 15) में यह प्रतीत होता है कि अनजाने में एक विसंगति रह गई है, क्योंकि कम कर दरों का विकल्प धारा 115बीएए और 115बीएबी के तहत क्रमशः घरेलू कंपनियों और नई घरेलू विनिर्माण कंपनियों को दिया गया है और घरेलू सहकारी समितियों को छोड़ दिया गया है, जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों में दोनों समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।”

सरकार को यहां याद दिलाना जरूरी है कि इफको और कृभको जैसे को-ऑप निकाय घरेलू उत्पादन में 30% का देती हैं, पत्र में इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया है कि घरेलू सहकारी समितियों के करों में कमी जाहिर तौर पर रोजगार के अलावा इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देगी।

पत्र में यह भी कहा गया है कि कटौती (रु.20,000 से ऊपर की आय) से पहले, घरेलू कंपनियों और घरेलू सहकारी समितियों का समान आधार दर 30% था।

“इसलिए हर तरह की निष्पक्षता और समानता को सुनिश्चित करने के लिए, सहकारी सोसायटी पर कर की दर कम से कम घरेलू कंपनियों के बराबर होनी चाहिए जो सहकारी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए संवैधानिक रूप से अनिवार्य आवश्यकता है”, एमडी लिखते हैं, जिन्हें न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी उर्वरक क्षेत्र में एक उदाहरण माना जाता है।

हालांकि, इफको के एमडी, भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास और निवेश को बढ़ावा देने के लिए 20 सितंबर, 2019 को घोषित कॉर्पोरेट टैक्स दरों पर ऐतिहासिक कदम के लिए सरकार को बधाई देना नहीं भूले।

कृषि सचिव संजय अग्रवाल को संबोधित पत्र में उनसे अनुरोध किया गया है कि वे जल्द से जल्द विसंगति को दूर करने के लिए वित्त मंत्री के समक्ष इस मुद्दे को उठाएं।

इससे पहले, नेफकॉब के अध्यक्ष, जिन्होंने सभी प्रभावित को-ऑप निकायों को एक साथ लाकर इस मुद्दे पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं, ने सरकार को इस भेदभाव के लिए दोषी ठहराया।

भारतीय सहकारिता से बात करते हुए मेहता ने पूछा, “क्या सहकारी फ्रेम-वर्क के भीतर व्यापार करना अपराध है”? मेहता ने इफको का उदाहरण देते हुए कहा जिसे 33% कर का भुगतान करना पड़ता है, वहीं एक अन्य कंपनी- “दीपक उर्वरक” को केवल 22% का भुगतान करना पड़ता है, जबकि दोनों का उत्पादन उर्वरक ही है”।

को-ऑप बैंकों की तुलना करते हुए मेहता ने कहा कि एचडीएफसी को केवल 22% कॉरपोरेट टैक्स देना पड़ता है, जबकि छोटे को-ऑप बैंकों और यूसीबी जिनका टर्नओवर 15 से 20 करोड़ रुपये का उन्हें 33 प्रतिशत कर का भुगतान करना है।

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