पीएमसी बैंक में हुये घोटाले के बाद देश-भर में फैले शहरी सहकारी बैंक लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए दिन- रात काम कर रहे हैं और ऐसा ही एक मामला रविवार को देखा गया जब एक प्रमुख यूसीबी- शामराव विट्ठल सहकारी (एसवीसी) बैंक ने एक स्पष्टीकरण जारी किया।
एसवीसी बैंक ने अपने स्पष्टीकरण में साफ किया की बैंक पीएमसी बैंक के साथ विलय पर कोई विचार नहीं कर रहा है और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कारवाई करने की चेतावनी दी है।
एक नोटिस में यूसीबी ने लिखा “हमें सोशल मीडिया के माध्यम से एसवीसी और पीएमसी बैंक के बीच विलय के बारे में अफवाह सुनने को मिली है। हम सभी से अनुरोध करते हैं कि ऐसे झूठे और आधारहीन बयानों पर ध्यान न दें।
हम अपने जमाकर्ताओं और शेयरधारकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस तरह की अफवाह फैलाने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे”।
यह याद दिलाता है कि एसवीसी बैंक भारत में सारस्वत बैंक और कॉसमॉस को-ऑप बैंक के बाद तीसरा सबसे बड़ा शहरी सहकारी बैंक है। इसने हाल ही में सहकारी संस्था “नेशनल कोऑपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया” एनसीयूआई) द्वारा बनाए गए सहकारी शिक्षा कोष के लिए 1.40 करोड़ रुपये का योगदान दिया।
पीएमसी बैंक में हुए घोटाले ने भारत में सहकारी बैंकिंग प्रणाली को हिलाकर रख दिया और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर मामले ने काफी तुल पकड़ा है।