दिल्ली में बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में इफको के प्रबंध निदेशक डॉ.यू.एस. अवस्थी ने उपलब्धियों की एक श्रृंखला की चर्चा की जो उन्हें इस वर्ष हासिल हुई हैं. वर्ष 2010-11 को उन्होंने एक स्वप्न वर्ष के रूप में लिया जब उनकी कई अधूरी बड़ी परियोजनाएं पूरी होती नजर आती है. डॉ. अवस्थी ने कहा कि शायद देश में सहकारी समितियों में पहली बार इफको समूह की कंपनी ICPL अपनी विद्युत उद्यम के लिए आईपीओ के साथ जनता के सामने जा रही है.
अन्य उपलब्धियों की घोषणा करते हुए उन्होंने 33.5 करोड़ डॉलर की जॉर्डन फस्फोरिक एसिड परियोजना को इफ्को समूह के मुकुट में एक और सितारा के रूप में बताया. इफको की सहयोगी ने पेरू के बोयावर में फॉस्फेट की ड्रिलिंग शुरू कर दी है; एपीआई ने अर्जेंटीना में पहले शेल गैस कुएं की खुदाई की है; मृदा संरक्षण पर इफको के अभियान को राष्ट्रव्यापी सफलता मिली है; और इफको ने उत्पादन, बिक्री और लाभ की उच्चतम उपलब्धि हासिल की है, एमडी ने गर्व के साथ घोषणा की.
ICPL के सार्वजनिक होने के मुद्दे पर पत्रकारों से बात करते हुए डॉ. अवस्थी ने कहा, “हमने इस मेगा बिजली परियोजना को स्थापित करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं, बस केवल वन मंजूरी का इंतजार कर रहे थे. किसानों और सहकारी समितियों के साथ समझौते में, हम खुदरा निवेशकों, किसान समुदाय, सहकारिता-कर्मी और सार्वजनिक पेशकश में भाग लेने वाले छत्तीसगढ़ के लोगों को 5-10 प्रतिशत की छूट की पेशकश करेंगे, बशर्ते बाजार नियामक द्वारा मंजूरी मिल जाए”.
पाठकों को पता है कि ICPL इफको और छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत के बीच एक संयुक्त उद्यम है जिसकी लागत 7544 करोड़ रुपये की है. ICPL की क्षमता 1320 मेगावाट थर्मल पावर की है और 2015 तक उत्पादन शुरू करने की उम्मीद है.
किसानों को उर्वरक पर नकद सब्सिडी के मुद्दे पर सरकार को पूर्ण समर्थन देते हुए डॉ. अवस्थी ने कहा कि वे लोग नीति में परिवर्तन के लिए पिछले 6-7 साल प्रयास कर रहे थे क्योंकि पुरानी निति सन् 1977 से चल रही थी. समय बदल गया है और हमें भी तदनुसार बदलने की जरूरत है.
सम्मेलन में कुछ मीडिया कर्मियों द्वारा प्रत्यक्ष नकद सब्सिडी की सफलता पर संदेह व्यक्त किया गया था जिसपर डॉ. अवस्थी ने कहा कि वह आशा करते हैं कि मीडिया इसे सकारात्मक ढंग से ले और ऐसा वातावरण तैयार करे कि नकद सब्सिडी भारत में सफलता की एक कहानी बन सके.