एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी, जो घुटने के ऑपरेशन के कारण तीन मिनट से ज्यादा समय तक खड़ा नहीं रह सकता है और विडंबना है कि उसे पीएमसी बैंक से अपना पैसा वापस पाने के लिए इधर-उधर भागना पड़ रहा है। इस संदर्भ में उन्होंने भारतीयसहकारिता को एक दिल दहलाने वाला मेल भेजा जिसे हम आपके सामने पेश कर रहे हैं – संपादक।
“मान्यवर!
मैं एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी हूँ। मैं और मेरी पत्नी वरिष्ठ नागरिक हैं। मेरे बाएं घुटने का ऑपरेशन हुआ है और मैं 3 मिनट से ज्यादा खड़ा नहीं रह सकता।
मेरा मासिक खर्च पेंशन के साथ-साथ एफडी के ब्याज से चलता है। मेरा रिटायरमेंट फंड पीएमसी बैंक में जमा हैं।
मैं किराए के बोझ से राहत पाने के लिए एक फ्लैट खरीदने की योजना बना रहा था, जिसके लिए मुझे अपनी एफडी के रकम की जरूरत थी। इसी बीच, मुझे संयुक्त राष्ट्र की एक नीति के बारे में पता चला है, जो संकट के समय में गैर सरकारी संगठनों को ऋण देने से संबन्धित है। काश पीएमसी इस मार्ग का अनुसरण करती।
मैं गैर-सरकारी संगठनों को संकट में ऋण देने से संबन्धित संयुक्त राष्ट्र की नीति का उल्लेख कर रहा हूँ। मैं उल्लेख करना चाहता हूँ कि सहकारी समिति या गैर सरकारी संगठन की अवधारणा संयुक्त राष्ट्र की एक पहल है।
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) एनजीओ को नागरिक समाज के ‘तीसरे क्षेत्र’ के रूप में संदर्भित करता है। संयुक्त राष्ट्र इन गैर सरकारी संगठनों को विकसित देखना और उन्हें आर्थिक रूप से मदद करना चाहता है। इसके कुछ बेहतरीन फंडिंग प्रोग्राम छोटे एनजीओ या को-ऑप सोसाइटी के लिए हैं।
कई दानदाता एजेंसियां हैं जो गरीब और विकासशील देशों में गैर-सरकारी संगठनों को छोटे आकार के सूक्ष्म अनुदान प्रदान करती हैं। ये अनुदान बेहद लचीले होते हैं और लेने में भी आसान होते हैं।
आपको केवल वित्त पोषित परियोजना की उपलब्धि पर एक छोटी वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।
हम अपने पीएमसी समूह में विवेक दीक्षित, बिजोन मिश्र, चंदर पुरस्वानी जैसे कानूनी विशेषज्ञों की मदद ले सकते हैं।
हम इस विकल्प पर गौर कर सकते हैं। इसके लिए कम से कम आवेदन तो करें और देखें कि इस प्रयास से क्या निष्कर्ष निकलता है। हमें पीएमसी बैंक को पुनर्जीवित करने के लिए सहायता कोष मिल सकता है।
धन्यवाद एवं सादर,
विक्रमजीत सिंह सचदेव, सेवानिवृत्त राजपत्रित अधिकारी,
पीएमसी बैंक पीड़ित, मुंबई”