देश में को-ऑपरेटिव हाउसिंग समितियों की शीर्ष संस्था “नेशनल कोऑपरेटिव हाउसिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया” (एनसीएचएफ़) ने भोपाल में अपनी 184वीं बोर्ड की बैठक का आयोजन किया, जिसमें राज्य के सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह ने भाग लिया। वर्तमान में हाउसिंग क्षेत्र अदालती मामलों में उलझा हुआ है और फंड की कमी से जूझ रहा है।
बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र में भूमि की उपलब्धता, फंड की कमी और सदस्यों से ऋण की वसूली करना बड़ी चुनौतियां हैं। 30 हजार से अधिक सदस्य समितियाँ देश के 25 राज्य स्तरीय सहकारी आवास संघों से जुड़ी हैं।
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, आवासीय, औद्योगिक और वाणिज्यिक सहित महाराष्ट्र की चार लाख पंजीकृत सहकारी समितियों के 33,000 से अधिक मामले अभी भी लंबित हैं। समितियों और उनके सदस्यों के बीच विभिन्न अदालतों में मुकदमे लड़े जा रहे हैं।
बोर्ड ने हालांकि हाउसिंग फेडरेशन के आगामी चुनाव पर चर्चा की। इस अवसर पर सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार फेडरेशन को उनकी गतिविधियों में विविधता लाने में मदद करेगी ताकि राज्य आवास महासंघ की वित्तीय स्थिति में सुधार हो सके। लंबित निर्माण कार्य राज्य सहकारी संघों को दिया जाएगा, उन्होंने कहा।
सिंह ने कहा, “सहकारी आंदोलन पिछले कुछ वर्षों में कमजोर हुए हैं लेकिन हमारी सरकार निकट भविष्य में आंदोलन को मजबूत करेगी”।
अपने ट्विटर वॉल पर मंत्री ने लिखा, “पिछले कुछ वर्षों में मध्य प्रदेश में सहकारी आंदोलन को बहुत नुकसान हुआ है”। उन्होंने कहा कि अगले डेढ़ साल में सहकारी आंदोलन में विकास तेजी से किया जाएगा। सिंह ने कहा कि राज्य सहकारी आवास संघ के चुनाव भी जल्द कराए जाएंगे। # जनसम्पर्क एमपी।
बैठक की अध्यक्षता एनसीएचएफ के अध्यक्ष एसएन शर्मा ने की। उन्होंने कहा कि आवास महासंघों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए नई परियोजनाओं की आवश्यकता है। ऐसे फंडिंग संस्थानों की नियुक्ति करने की भी आवश्यकता है जो निर्माण कार्य के लिए आवास संघों को उचित ब्याज दर पर धन उपलब्ध करा सकें।
बैठक के दौरान कई प्रस्तावों को सर्वसम्मति से पारित किया गया जिसमें निर्माण एजेंसी के रूप में राज्य स्तरीय सर्वोच्च संघ बनाना शामिल था। देश में 25 राज्य स्तरीय शीर्ष आवास महासंघ हैं।
इस अवसर पर एनसीएचएफ के सीईओ एनएस मेहरा, निदेशक मुदित वर्मा, एमपी स्टेट कोऑपरेटिव हाउसिंग फेडरेशन के एमडी आरके शर्मा, राज्य स्तरीय महासंघों के अध्यक्ष और एमडी उपस्थित थे।