केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किए गए केंद्रीय बजट की सराहना करते हुए सहकार भारती के वरिष्ठ संचालक सतीश मराठे ने कहा कि लंबे समय के बाद सहकारी क्षेत्र से जुड़े लोगों के चेहरे खिल उठे हैं।
सहकारी समितियों और कॉरपोरेट्स के बीच लायी गयी समानता एक स्वागत योग्य कदम है क्योंकि इससे एक तरफ अमूल और कैम्पको जैसी बड़ी सहकारी समितियों और दूसरी तरफ इफको और कृभको को फायदा मिलेगा, मराठे ने कहा।
“बजट में शहरी सहकारी बैंकों के लिये एक और बड़ी घोषणा की गई है। शहरी सहकारी बैंक हमेशा मांग करता रहा है कि केवल आरबीआई को नियामक बनाया जाना चाहिए और एफएम ने अपने संबोधन में कहा कि सहकारी बैंकों को मजबूत बनाने के लिए बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन किया जाएगा”, मराठे ने कहा।
“एक बार जब यूसीबी आरबीआई के पूर्ण नियंत्रण में होंगे, तो सारस्वत बैंक या कॉसमॉस बैंक जैसे बड़े यूसीबी को निजीकारण की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा, अन्य छोटे यूसीबी को छोटे वित्त बैंकों में बदलने की आवश्यकता खत्म हो जाएगी”, मराठे ने रेखांकित किया।
एक ओर बिंदु पर प्रकाश डालते हुये मराठे ने कहा कि वित्त मंत्री ने अपने भाषण में यूसीबी को पूंजी जुटाने में सक्षम बनाने पर जोर दिया। यह एक प्रमुख बाधा थी; हालांकि, यह कैसे किया जाएगा, अभी तक स्पष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा उक्त विचार की स्वीकृति एक स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने महसूस किया कि सामाजिक उद्यमों को पूंजी जुटाने की अनुमति के आधार पर, यूसीबी को सेबी के मार्ग पर जाने की अनुमति दी जा सकती है।
मराठे इस तथ्य का भी स्वागत करते हैं कि डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) के डिपॉजिट इंश्योरेंस कवरेज को 1.00 लाख प्रति जमाकर्ता से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया है। “हम भी 3 साल के बाद जोखिम आधारित प्रीमियम को लागू करने का प्रस्ताव करते हैं क्योंकि हमें विश्वास है कि 90% से अधिक बैंकों को ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा”, एफएम ने कहा।
इसे सहकारी अनुकूल बजट का नाम देते हुए मराठे ने कहा कि सहकार भारती से जुड़े लोग वित्त मंत्री का धन्यवाद करने की योजना बना रहे हैं।