इन दिनों एनसीयूआई की शिक्षा विंग एनसीसीई खूब सुर्खियां बटोर रही है। एनसीसीई भारत सरकार के सहयोग से सहकारी नेताओं को प्रशिक्षण दे रहा है ताकि सहकारी नेता बहुउद्देश्यीय जिला सहकारी समितियों का सुचारू रूप से प्रबंधन कर सके।
ग्राम स्तरीय उद्यमी के नाम से मशहूर, सहकारी नेताओं को दिल्ली में एनसीयूआई के मुख्यालय में हर महीने प्रशिक्षण दिया जा रहा है और एनसीसीई को भारत सरकार से इसके आयोजन के लिये फीस भी मिल रही है, एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी एन सत्यनारायण ने बताया।
बाद में, एनसीसीई के निदेशक वी के दुबे ने बताया कि, “हमने पिछले दो महीनों में 200 विलेज लेवल एंटरप्रेन्योर को प्रशिक्षित करने के लिये चार कार्यक्रम आयोजित किये हैं और फीस के रूप में लगभग 12 लाख रुपये की आय हुई है”। टीम को प्रोत्साहित करने और पूरी स्वतंत्रता देने के लिए सीई का धन्यवाद करते हुए, दुबे ने कहा, “वे दिन दूर नहीं जब हम इससे करोड़ों कमाएंगे।”
सीई सत्यनारायण ने दुबे के द्वारा कहे गये शब्दों को तुरंत ठीक करते हुए कहा कि, “हमारा उद्देश्य लाभ कमाना नहीं है, बल्कि हम खुश हैं क्योंकि इस कार्यक्रम से सहकारी आंदोलन को बल मिला है जो शांत और प्रभावी बना हुआ है”। कुछ ही शब्दों में अपनी बात को समाप्त करते हुए, सीई ने एनसीसीटी की तरफ इशारा करते हुये कहा कि सहकारी प्रशिक्षण के संदर्भ में एनसीसीटी सहकारी नेताओं को प्रशिक्षित देता है लेकिन सभी गलत कारणों से मीडिया की सुर्खियां बटोरता है।
गौरतलब है कि एनसीयूआई ने सहकारी प्रबंधन विषय पर विलेज लेवल एंटरप्रेन्योर के लिये प्रबंधन विकास कार्यक्रम आयोजित करने के लिये “सीएससी-ई-गोवर्नान्स इंडिया सर्विसेस” के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय की पहल – “कॉमन सर्विस सेंटर” गांवों में विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक सेवाएं प्रदान करने वाला एक केंद्र है, जिससे एक डिजिटल और आर्थिक रूप से समावेशी समाज के निर्माण में योगदान मिलता है।
वीएलई के लिए बने 175 पृष्ठों के हिंदी मैनुअल को दिखाते हुए, एनसीसीई के हेड ने कहा कि गैर-हिंदी भाषी सहकारी नेताओं के लाभ के लिए बाद में इनका अनुवाद सभी क्षेत्रीय भाषाओं में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी संस्करण अगले कुछ दिनों में आ जाएगा।
इस बीच दुबे ने कहा कि यूपी, हरियाणा और पंजाब सहित हिंदी भाषी क्षेत्रों को कवर किया गया है और इसके बाद असम, केरल, पश्चिम बंगाल और गुजरात के प्रतिभागियों को शामिल किया जाएगा।
दुबे ने यह भी बताया कि देश के विभिन्न राज्यों में 109 जूनियर सहकारी प्रशिक्षण केंद्र खुले हैं और राज्य सहकारी संघों द्वारा प्रबंधित हैं, जिन्हें इस कार्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। हमारे प्रशिक्षित संकाय सदस्य इन केंद्रों पर वीएलई के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेंगे।
प्रशिक्षण प्रक्रिया के बारे में बताते हुये दुबे ने कहा कि, “पहले तारीखें तय की जाती हैं और बाद में प्रशिक्षुओं की संख्या हमें बताई जाती है, जिसके बाद हम प्रति प्रतिभागी 8500 रुपये के हिसाब से बिल जमा कराते हैं। प्रशिक्षण शुरू होने से पहले हमें फीस प्राप्त हो जाती है।
वर्तमान में, देश-भर में लगभग 2.75 लाख केंद्र हैं, जो सभी ग्राम पंचायतों को कवर करते हैं। कॉमन सर्विस सेंटर्स स्कीम के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए “सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया” इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत स्थापित एक विशेष उद्देश्य वाहन (सीएससी एसपीवी) है।
सीएससी योजना के प्रमुख हितधारक ग्राम स्तरीय उद्यमी (वीएलई) हैं जिन्हें सीएससी संचालक के रूप में जाना जाता है।
अब, इन वीएलई को बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों के गठन में लगाया जा रहा है। सीएससी योजना के तहत 300 प्राथमिक बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों को पहले ही पूरे देश में पंजीकृत किया गया है।
इन वीएलई के माध्यम से 18 मंत्रालयों के कार्यक्रम कार्यान्वित किए जा रहे हैं, सीई ने बताया। हमारा मुख्य उद्देश्य इन कार्यक्रमों को डिजिटल बनाना है और वीएलई को इस उद्देश्य के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है।