यस बैंक के खिलाफ आरबीआई की ओर से लिए गए एक्शन के बाद अब इस बैंक से जुड़े देश के 109 अर्बन कॉपरेटिव बैंकों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है। यस बैंक के माध्यम से यह बैंक ग्राहकों को चेक क्लीयरेंस की सुविधा प्रदान करते हैं। इस मामले में शहरी सहकारी बैंकों की शीर्ष संस्था नेफकॉब ने आरबीआई के साथ तत्काल आधार पर मुद्दा उठाया है।
“भारतीय सहकारिता” से बात करते हुए नेफकॉब के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने कहा, “जो बैंक (यूसीबी) यस बैंक के माध्यम से ग्राहकों को चेक क्लीयरेंस की सुविधा प्रदान करते हैं, उनसे अनुरोध है कि वे किसी अन्य बैंक के साथ शीघ्र ही टाईअप करें”।
इस संदर्भ में नेफकॉब ने सभी प्रभावित यूसीबी को एक विस्तृत पत्र भेजा। पत्र में लिखा गया, “इस मामले को तत्काल आधार पर आरबीआई के साथ उठाया गया और उन्होंने हमें तत्काल समाधान प्रदान किया है, जिसका लाभ सभी प्रभावित शहरी सहकारी बैंक उठा सकते हैं”।
“येस बैंक ने सभी बैंकों को सीटीएस खाते खोलने के लिये एनओसी दे दी है। उस पत्र की एक प्रति नेफकॉब से जुड़े सैकड़ों शहरी सहकारी बैंकों को भी भेजी गयी है”, पत्र के मुताबिक।
नेफकॉब ने अपने सदस्यों को समझाया कि, “बैंक से अनुमोदन प्राप्त करना है जो सीटीएस के तहत यूसीबी की समाशोधन की व्यवस्था करेगा, जिसके लिए एक फॉर्म भरना पड़ेगा और आरबीआई के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों के लिए अपलोड करना पड़ेगा, जिसके तहत शहरी सहकारी बैंक संचालित होता है”।
“कृपया इसे तुरंत कर लें ताकि बैंक के संचालन में कोई बाधा उत्पन्न न हो”, नेफकॉब ने अपने प्रभावित सदस्यों को लिखा और बताया कि नेफकॉब उनकी सेवा में हमेशा तत्पर रहता है।
नेफकॉब ने नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) को भी पत्र लिखा है और बताया कि यूसीबी ने अप्रत्यक्ष सदस्य के रूप में मुंबई क्लेयरिंग में भाग लेने का फैसला किया है।
“हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस व्यवस्था के लिए आवश्यक कानूनी समझौते की औपचारिकताएँ पूरी हो चुकी हैं”, एनपीसीआई को लिखे अपने पत्र में नेफकॉब का दावा है।
“कृपया सीएच में आवश्यक संशोधन करने की व्यवस्था करें ताकि हमें अप्रत्यक्ष सदस्य के रूप में मैप किया जाय और पुष्टि करें”, पत्र में मांग की गई है।