इफको की ओर से शुरू किये गये नैनो उर्वरकों का फील्ड ट्रायल इन दिनों मीडिया की सुर्खियाँ बटोर रहा हैं। फील्ड ट्रायल से जुड़ी एक कहानी वारंगल (तेलंगाना) के एक किसान की है, जिसने अपने खेत में नैनो उर्वरक का उपयोग किया और उसे उत्साहजनक परिणाम मिला।
कोपर गांव के निवासी रमेश नाम के एक किसान ने नैनो नाइट्रोजन उपयोग करने से पहले और बाद में अपने उत्पादन के तुलनात्मक परिणाम के बारे में बताया है।
इफको के एमडी डॉ यूएस अवस्थी द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किए गए वीडियो के अनुसार, “किसान ने पाया है कि उसके खेतों में नैनो नाइट्रोजन का छिड़काव करने से अन्य उर्वरकों के इस्तेमाल की तुलना में काफी अधिक पैदावार हुई है। नैनो ने न केवल उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार किया है बल्कि इसके उत्पादन को भी बढ़ाया है”, किसान ने वीडियो के माध्यम से अपना अनुभव साझा किया है।
अवस्थी ने अपने ट्विटर वॉल पर लिखा, “तेलंगाना के वारंगल अर्बन डिस्टिक्ट के एक किसान द्वारा इफको नैनोटेक्नोलॉजी उत्पादों विशेष रूप से नैनो नाइट्रोजन का अपने धान के खेतों में उपयोग कर अपना अनुभव साझा किया। यह जानकर खुशी हुई कि नैनो उर्वरक किसानों के उत्पादन को बढ़ा रहा है”।
बाद में, अवस्थी ने फील्ड ट्रायल से जुड़ी एक अन्य वीडियो ट्विटर के माध्यम से साझा की। इस वीडियो में हरियाणा के रेवाड़ी के केवीके रामपुरा के डॉ अनिल कुमार नाम के एक वैज्ञानिक ने बताया कि खलियावास गाँव में इफको के नैनो तकनीक पर आधारित उत्पादों का इस्तेमाल किया गया।
अपने विचार साझा करते हुए, उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के उपयोग की अपेक्षा नैनो उत्पादों के उपयोग से सरसों की पैदावार में काफी बढ़ोतरी हुई है। नैनो जिंक, नैनो कॉपर्स के छिड़काव से जड़ों में वृद्धि हुई और उत्पादन बढ़ा है।
जैसे ही इफको एमडी ने ट्रायल से जुड़ी ट्विटर पर वीडियो पोस्ट की वैसे ही लोगों ने जमकर शेयर करना शुरू कर दिया। इससे पहले, हमने इन स्तंभों में बताया था कि इफको के क्षेत्र परीक्षण लगभग सभी राज्यों और कई केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे हैं।
वर्तमान में, 11,000 से अधिक किसानों के खेतों पर क्षेत्र-परीक्षण चल रहा है। इसके अलावा, इफको देश के विभिन्न हिस्सों में नैनो उर्वरकों के क्षेत्र परीक्षणों के उत्साहजनक परिणामों के मद्देनजर मई में गुजरात के कलोल में अपनी मातृ इकाई में नैनो उर्वरक संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रहा है।
कलोल यूनिट में इफको नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) में स्वदेशी रूप से नैनो उत्पादों पर शोध और विकास किया गया है। हाल ही में, इफको ने अपनी आंवला इकाई में एक और नैनो लैब शुरू की।
यह कहा जा रहा है कि ये नैनो–संरचित फॉर्मूलेशन पारंपरिक नाइट्रोजन रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता को 50% तक कम कर देंगे, पौधे को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से पोषण प्रदान करेंगे और किसानों को कम लागत पर उपलब्ध होंगे।