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लाभांश: यूसीबी ने निर्णय का किया स्वागत; मजबूत बैंकों के लिये मांगी अनुमति

देश भर में शहरी सहकारी बैंकों से जुड़े सहकारी नेताओं ने लाभांश रोकने के मुद्दे पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। कई सहकारी नेताओं ने आरबीआई के निर्णय की सराहना की है जबकि कई नेताओं ने आरबीआई से फाइनेंशियली साउंड एंड वेल मैनेजड बैंकों को अपने सदस्यों को लाभांश का भुगतान करने के लिये अनुमति देने का आह्वान किया है।

पाठकों को याद होगा कि हाल ही में आरबीआई ने कहा था कि कोविड-19 महामारी के कारण सामने आई वित्तीय कठिनाइयों के चलते सभी वाणिज्यिक बैंक और सहकारी बैंक अपने सदस्यों को लाभांश का भुगतान नहीं करेंगे।

टीजेएसबी सहकारी बैंक, सीईओ, सुनील साठे

कोरोना वायरस के कारण वर्तमान स्थिति अत्यंत गंभीर है और हम इस वर्ष के लिए लाभांश के भुगतान को रोकने के आरबीआई के निर्णय का स्वागत करते हैं।

यह राष्ट्रहित में लिया गया निर्णय है। पूंजी जुटाना बैंक के समक्ष बड़ी चुनौतियों में से एक है और लाभांश के भुगतान को रोकने से हमें पूंजी आरक्षित रखने में मदद मिलेगी।

वर्तमान में, हर कोई कुछ न कुछ त्याग कर रहा है और शायद सदस्यों के लिए बैंक के हित में इस तरह का निर्णय लेना कोई बड़ी बात नहीं है।

हमने पिछले वित्तीय वर्ष में अपने शेयरधारकों को 15 प्रतिशत लाभांश दिया था। बैंक ने लगभग 50 हजार अंशधारकों को लाभांश के रूप में 17 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।

कांगड़ा सहकारी बैंक, अध्यक्ष, लक्ष्मी दास

हम आरबीआई के निर्णय से खुश नहीं हैं क्योंकि वर्तमान स्थिति में बैंक कर्मचारियों को वेतन दे रहे हैं, यहाँ तक कि कुछ मामलों में कुछ बैंकों ने अपने कर्मचारियों को अग्रिम पैसा दिया है। अगर हर किसी को पैसा मिल रहा है तो हमें हमारे सदस्यों का लाभांश क्यों रोकना चाहिए, जो यूसीबी के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उदाहरण के लिए, वित्तीय वर्ष 2018-19 में, हमारे बैंक की वित्तीय स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी और हमने 18 के बदले 15 प्रतिशत लाभांश दिया था। उस समय, सदस्यों को समझाना हमारे लिए कठिन था।

इसलिए, मैं आरबीआई से उन बैंकों को लाभांश भुगतान की अनुमति देने का आग्रह करता हूँ जो आर्थिक रूप से स्वस्थ और अच्छी तरह से प्रबंधित बैंक हैं।

सिटीजन क्रेडिट कोऑपरेटिव बैंक, सीईओ, क्रिस्‍टोफर मेंडोजा

हम आरबीआई के निर्णय से खुश हैं जो बैंकों के हित में लिया गया है। यह कोविद-19 की वजह से बढ़ी अनिश्चितता का समय है, हम अपने शेयरधारकों को वार्षिक आम बैठक के दौरान मना लेंगे।

मैं अर्थव्यवस्था को समर्थन देने और घाटे को अवशोषित करने की अपनी क्षमता को बनाए रखने के लिए पूंजी के संरक्षण में बैंकों की मदद करता हूँ।

पिछले वित्तीय वर्ष में, हमारे बैंक ने 15,000 से अधिक शेयरधारकों को 16 प्रतिशत लाभांश का वितरण किया, जो लगभग 3.4 करोड़ रुपये के बराबर था।

काजिस बैंक, वाइस चेयरमैन, सीए चंद्रकांत चौगुले

यह बैंकों के हित में सही निर्णय और स्वागत योग्य कदम है। यह कोरोना वायरस महामारी के कारण होने वाले नुकसान को सहन करने के लिए पूंजी जुटाने में हमारी मदद करेगा।

सदस्य शहरी सहकारी बैंकों के मालिक हैं और बैंकों के अस्तित्व के लिए, हमें यकीन है कि, वे समस्या को समझेंगे।

हमने अपने 65 हजार शेयरधारकों को 10 प्रतिशत लाभांश दिया था जो कि लगभग 6 करोड़ रुपये के बराबर था।

पुणे पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक, अध्यक्ष, सीए जनार्दन रानाडिव

हम आरबीआई के फैसले के खिलाफ हैं, जिसमें सहकारी बैंकों और यूसीबी सहित सभी बैंकों से गत वर्ष के लिए लाभांश का भुगतान करने से रोका कहा गया है। आरबीआई को निर्णय की घोषणा करने से पहले कुछ माणदंडों को रखना चाहिए था।

यह शेयरधारकों के बीच एक घबड़ाहट की स्थिति पैदा कर सकता है क्योंकि अगर उन्हें लाभांश प्राप्त नहीं होता है तो वे हमारे सदस्य क्यों रहेंगे। शेयरधारक अपनी सदस्यता वापस ले सकते हैं।

पिछले वित्त वर्ष में बैंक ने 35 हजार अंशधारकों को 15 प्रतिशत लाभांश का वितरण किया जिसकी कुल रकम 2 करोड़ रुपये से अधिक थी।

एपी महेश सहकारी बैंक, प्रबंध निदेशक, उमेश चंद असावा

आरबीआई ने कोरोनोवायरस के कारण उत्पन्न वर्तमान स्थिति के मद्देनजर अच्छा निर्णय लिया है। पूंजी आरक्षित करने की आवश्यकता है।

वर्तमान स्थिति से बैंकों के एनपीए में वृद्धि हो सकती है। आरबीआई ने यह भी कहा है कि 30 सितंबर, 2020 को समाप्त तिमाही के लिए बैंकों के वित्तीय परिणामों के आधार पर इस प्रतिबंध को फिर से लागू किया जाएगा।

हमें यकीन है कि यूसीबी की स्थिति की समीक्षा करने के बाद, आरबीआई बैंकों को अपने सदस्यों को लाभांश का भुगतान करने की अनुमति देगा।

पिछले वित्तीय वर्ष में, हमारे बैंक ने 32,000 अंशधारकों को 20 प्रतिशत का लाभांश दिया, जो लगभग 5 करोड़ रुपये के बराबर था।

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