जैसे ही हमने लिखा कि नेफेड के एमडी संजीव चड्ढा मनमाने ढंग से संस्था का संचालन करते हैं वैसे ही भारतीयसहकारिता” को बुधवार को हुई बोर्ड की बैठक का विवरण प्राप्त हुआ, जिसमें एक निदेशक ने सहकारी संस्था की वर्तमान स्थिति पर अपनी नाराजगी जाहिर की है।
अपनी नाराजगी जाहिर करते हुये बिस्कोमान के चेयरमैन और नेफेड के बोर्ड के सदस्य डॉ सुनील कुमार सिंह ने कहा, “वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई बोर्ड की बैठक में योजनाबद्ध तरीके से बोर्ड के अधिकांश सदस्यों की आवाज को म्यूट किया गया ताकि एमडी मनमाने ढंग से बैठक का संचालन कर सकें।”
ऐसे में सुनील ने नेफेड की आईटी टीम पर षड्यंत्र रचने की भी आशंका जाताते हुये कहा, मुझे ऐसा लगता है कि बोर्ड मीटिंग में योजनाबद्ध तरीके से आईटी टीम ने भी एमडी की मदद की है ताकि एमडी खुद के एजेंडे को चला सकें।
इस संदर्भ में सुनील ने नेफेड के अध्यक्ष बिजेन्द्र सिंह के ओएसडी गुलाटी को एक संदेश लिखा जिसमें उन्होंने कहा, “इस बैठक में मेरी अनुपस्थिति माना जाए क्योंकि इस बोर्ड की मीटिंग में न तो मुझे सुना जा रहा था और न ही उन्हें उनकी बात रखने की अनुमति दी जा रही थी।” सुनील की बातचीत का पूरा लिखित विवरण “भारतीयसहकारिता” के पास है।
पूरे बोर्ड की बैठक को मजाक बताते हुए, सुनील ने नेफेड के अध्यक्ष को अपनी लिखित शिकायत भेजने को कहा। “हाँ, आप इसे प्रकाशित कर सकते हैं; मैं किसी से नहीं डरता और हमेशा अपनी आवाज उठाता रहूंगा जबतक चीजें स्थापित मानदंडों के अनुसार नहीं चलेगी”, उन्होंने हिम्मत के साथ कहा।
“भारतीयसहकारिता” को यह भी ज्ञात हुआ है कि नेफेड के अन्य बोर्ड के सदस्य डॉ चंद्र पाल सिंह यादव भी बोर्ड की बैठक में एमडी से काफी नाराज थे। माना जाता है कि उन्होंने एमडी पर मामलों को अनियंत्रित तरीके से चलाने का आरोप लगाया है। “यह ठीक नहीं है”, माना जाता है कि उन्होंने एमडी को चेतावनी देते हुये कहा है।
स्मरणीय है कि नेफेड के एमडी को केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले के मंत्री रामविलास पासवान की तीखी आलोचना झेलनी पड़ी है, जब राज्य के मंत्रियों ने उनसे शिकायत की थी कि उन्हें नेफेड द्वारा दाल उपलब्ध नहीं कराई जा रही है, जिसके लिए पहले वादा किया गया था।
इसके बाद, मामला पीएमओ तक पहुंचा जिसने मंत्रालय को देरी के बारे में स्पष्टीकरण देने को कहा।
ऐसा माना जाता है कि रामविलास पासवान ने सीधे प्रधानमंत्री से शिकायत की कि सचिव पवन अग्रवाल इस मुद्दे पर उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। पीएमओ ने अग्रवाल को तुरंत स्थानांतरित करने का फैसला लिया।
मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, अगली बारी अब नेफेड के एमडी संजीव चड्ढा की है।