बैंक

एसबीआई कर्मचारियों ने निवेशकों को ठगने के लिए सहकारी समिति बनाई

स्टेट बैंक के कर्मचारियों ने एक सहकारी समिते “सर्व बैंक कर्मचारी और OUSET और सी सोसायटी लिमिटेड” बनाई.  बैंक के लुधियाना शाखा में एक सहायक प्रबंधक अमरजीत सिंह समिति के अध्यक्ष थे, जबकि एक अन्य कर्मचारी- अनिल पाहवा, उसका महासचिव था.

दो ग्राहक – बलदीप सिंह और विरैन संधू ने समिति और इसके पदाधिकारियों, सिंह और पाहवा के खिलाफ एक उपभोक्ता शिकायत दर्ज की थी.  उन्होंने दावा किया कि दोनों ने उन्हें समिति में जमा करने के लिए राजी किया था जो जोखिम मुक्त होगा प्रति वर्ष 16% की एक उच्च ब्याज का भुगतान होगा. तदनुसार, बलदीप ने एफडीआर में 3 लाख रुपये जमा किये जबकि संधू ने 6.14 लाख रुपये.

प्रारंभ में, उन्हें अपनी जमा पर ब्याज मिलता था, लेकिन एक समय के बाद, उन्हें ब्याज नहीं मिला. जांच में सिंह ने उन्हें बताया कि कुछ उधारकर्ता उनके देय राशि को दे देंगे तब ब्याज प्रेषित किया जाएगा. बाद में, बलदीप और संधू को अखबारों से मालूम हुआ कि उस सहकारी समिति में कुछ गोलमाल था. उन्होंने अपने फिक्स्ड डिपॉजिट की चुकौती की मांग की. जब अपने पैसे वापस पाने के उनके बार-बार के प्रयास विफल रहे तो उन्होंने जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष व्यक्तिगत शिकायतों को दायर किया.

समिति और उसके पदाधिकारियों ने शिकायत का बचाव किया. सुनने के बाद जिला मंच ने समिति को 16% प्रति वर्ष की सहमत दर पर रकम वापस करने और 5000 रुपये खर्च के रूप में देने का आदेश दिया. यह राशि तीन महीने के भीतर लौटानी थी और डिफ़ॉल्ट के मामले में यह आदेश दिया था कि सिंह और पाहवा, जो संयुक्त रूप से उत्तरदायी थे, से राशि बरामद की जा सकती है.

समिति और इसके अधिकारियों ने इस आदेश के खिलाफ चंडीगढ़ राज्य आयोग में अपील की, जिसने आदेश को सही ठहराया और अपील खारिज कर दी. पाहवा ने एक पुनरीक्षण याचिका के माध्यम से राष्ट्रीय आयोग का दरवाजा खटखटाया.

उन्होंने विभिन्न तकनीकी उपायों का सहारा लेकर अपने दायित्व से बचने की कोशिश की. उन्होंने दावा किया कि किसी पदाधिकारी को व्यक्तिगत रूप से लोगों की बकाया राशि के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.

 

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close