द वीक की खबर के मुताबिक, कोविड-19 से प्रभावित 10 लाख छोटे व्यापारियों को 1 लाख रुपये तक का ऋण देने के गुजरात सरकार के हाल ही के फैसले से विवाद छिड़ गया है।
मीडिया आउटलेट ने आरोप लगाया है कि बहुप्रचारित योजना में गारंटरों की आवश्यकता नहीं होने के वादे के बावजूद, लोगों को गारंटर लाने के लिए कहा जा रहा है।
मुख्यमंत्री के हवाले से मीडिया आउटलेट का कहना है कि यह राशि सहकारी बैंकों और सहकारी क्रेडिट सोसायटी बैंकों के माध्यम से छोटे व्यापारियों को वितरित की जानी थी। यह घोषणा की गई थी कि आवेदनों और दस्तावेजों के आधार पर ऋण दिए जाएंगे।
हालांकि, जब लोग ऋण लेने के लिए बैंक गए तो उन्हें दो गारंटर देने को कहा गया।