ताजा खबरें

लाभांश के भुगतान पर आरबीआई करे पुनर्विचार: मूर्ति

तेलंगाना अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों की शीर्ष संस्था के अध्यक्ष और नेफकॉब के निदेशक जी रमा मूर्ति ने आरबीआई गवर्नर को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने लभांश के भुगतान पर अर्बन कॉपरेटिव बैंकों पर लगाए गए प्रतिबंध पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। 

एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि, 31 मार्च, 2020 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष तक के मुनाफे से सभी बैंकों द्वारा कोई लाभांश भुगतान नहीं किए जाने के आरबीआई के निर्णय से सहकारी शहरी बैंक के अंशधारक परेशान हैं। 

पाठकों को याद होगा कि आरबीआई ने कोविड-19 के मद्देनजर यह फैसले सुनाया था और यह महत्वपूर्ण है कि बैंक की अर्थव्यवस्था को समर्थन देने और घाटे को अवशोषित करने की अपनी क्षमता को बनाए रखने के लिए पूंजी का संरक्षण करना जरूरी है।

लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक का निर्णय शहरी सहकारी बैंकों के शेयरधारकों को पसंद नहीं है और वे मांग करते हैं कि वार्षिक लाभांश का भुगतान उन्हें हमेशा की तरह किया जाना चाहिए। उत्तेजित शेयरधारक सदस्य वार्षिक आम बैठक में जोर दे सकते हैं कि लाभांश की घोषणा और हमेशा की तरह भुगतान किया जाना चाहिए। इससे एजीएम का संचालन प्रभावित हो सकता है, गवर्नर को लिखे पत्र के मुताबिक।

एक वरिष्ठ सहकारी नेता मूर्ति ने शीर्ष बैंक-आरबीआई से बैंक की दृढ़ता को तय करने के लिए कुछ मानदंडों पर विचार करने के लिए कहा है जैसे कि गैर-निष्पादित आस्तियों का प्रतिशतपिछले लगातार दो वर्षों के लिए अर्जित लाभ, आदि। लेकिन वह चाहेंगे कि जमाकर्ताशेयरधारक सदस्य और आम जनता एक शहरी सहकारी बैंक की दृढ़ता को नियमित रूप से जमाकर्ताओं को ब्याज का भुगतानकर्मचारियों को वेतन का भुगतान और शेयरधारक सदस्यों को लाभांश का भुगतान जैसे मापदंडों के आधार पर जाँचे।

मूर्ति ने अपने पत्र में कहा कि चूंकि अधिकांश शहरी सहकारी बैंकों में बुजुर्ग और सेवानिवृत्त लोग ही शेयरधारक हैं, अतः आरबीआई का फैसला उन्हें प्रभावित करेगा।

इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि चूंकि शहरी सहकारी बैंकों को बाजार में सूचीबद्ध नहीं किया गया हैइसलिए उनका संचित लाभ पुस्तकों में शेयरों के मूल्य को प्रभावित नहीं करता है। दूसरी ओरवाणिज्यिक बैंक सूचीबद्ध हैं और उनके संचित लाभ से ऐसे शेयरोंके मूल्य में वृद्धि होगी, मूर्ती ने कहा।

अपने पत्र में शीर्ष बैंक के फैसले से शहरी सहकारी बैंकों को होने वाले कई अन्य नुकसानों के बारे में चर्चा करते हुएमूर्ति ने आरबीआई से फैसले पर पुनर्विचार करने और शहरी सहकारी बैंकों को संबंधित बैंकों के वार्षिक बैठकों में अनुमोदन के बाद वर्ष 2019 के लिए हमेशा की तरह लाभांश वितरित करने की अनुमति देने का आग्रह किया।

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close