अमूल ब्रांड नाम से डेयरी उत्पाद बेचने वाले गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (जीसीएमएमएफ) ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में 38,542 करोड़ रुपये का कारोबार किया। जीसीएमएमएफ़ की यह उपलब्धि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 17% अधिक है।
वास्तव में, जीसीएमएमएफ समूह और उससे जुड़ी यूनियन सदस्यों का अमूल ब्रांड के तहत एकीकृत कारोबार 52 रुपये से अधिक या करीब सात अरब डॉलर रहा है। बयान में कहा गया है कि हमारा 2024-25 तक एक लाख करोड़ रुपए का कारोबार हासिल करने का लक्ष्य है।
अमूल विश्व में डेयरी ऑर्गनाइजेशन में 2011 में 18 वें नंबर पर थी, जबकि अब यह 9वें नंबर पर है और इसका लक्ष्य शीर्ष 3 डेयरी संगठन में से एक बनने का है।
तेजी से विस्तार से अमूल का कारोबार 2009-10 की तुलना में पांच गुना हो गया है। यह 2009-10 में 8,005 करोड़ रुपए था। गुजरात में डेयरी सहकारी समितियों के शीर्ष निकाय के परिणाम 18 जुलाई 2020 को जीसीएमएमएफ़ की 46वीं वार्षिक आम बैठक में घोषित किए गए।
जीसीएमएमएफ ने अपने चेयरमैन रामसिंह परमार के हवाले से कहा कि 2019-20 में दूध की रोजाना खरीद 215.96 लाख लीटर रही। इस तेज वृद्धि की वजह हमारे सदस्य किसानों को दिया जाने वाला खरीद मूल्य है, जिसमें 2009-10 की तुलना में 127 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। 2009-10 में यह प्रति किलोग्राम वसा (फैट) 337 रुपए था, जो 2019-20 में 765 रुपए प्रति किलोग्राम वसा पर पहुंच गया।
उन्होंने आगे कहा कि लॉकडाउन के दौरान जब निजी दूध कंपनियों ने किसानों से खरीद बंद कर दी थी उस समय गुजरात की दुग्ध यूनियनों ने प्रतिदिन 35 लाख लीटर अतिरिक्त दूध की खरीद की थी और ग्रामीण क्षेत्र के दुग्ध उत्पादकों को करीब 800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया था।
जीसीएमएमएफ के उपाध्यक्ष जेठाभाई भारवाड़ ने बताया कि पिछले 21 वर्षों से भारत दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बना हुआ है और पिछले तीन से चार वर्षों के दौरान 5.5% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ अपनी प्रमुख स्थिति बनाए रखने की संभावना है। वैश्विक दूध उत्पादन 2.0% से बढ़ रहा है। दूध उत्पादन के वैश्विक विकास में भारत का योगदान लगभग 50% है। भारत में उत्पादित दूध का मौद्रिक मूल्य लगभग 8 लाख करोड़ रुपए है, जो सभी दालों और अनाज के कुल मूल्य से अधिक है। एक राष्ट्र के रूप में, हम अब डेयरी क्षेत्र में पूरी तरह से “आत्मनिर्भर” हैं, क्योंकि हमारे डेयरी किसान दूध और डेयरी उत्पादों की देश की 100% मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त उत्पादन करते हैं।
जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक डॉ आरएस सोढ़ी ने कहा कि प्रधानमंत्री राहत पैकेज में 15 हजार करोड़ रुपए डेयरी सेक्टर को दिए गए हैं। इससे सप्लाई चेन और डेयरी प्लांट्स स्थापित करने में भारतीय डेयरी इंडस्ट्री को मदद मिलेगी। इससे 4 से 5 करोड़ लीटर की अतिरिक्त क्षमता बढ़ेगी। इस अतिरिक्त 5 करोड़ लीटर से संगठित डेयरी इंडस्ट्री में करीबन 30 लाख लोगों को ग्रामीण भारत में रोजगार मिलेगा।
वार्षिक आम बैठक के बाद, गुजरात के 36 लाख दुग्ध उत्पादक सदस्यों की ओर से, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरईसीईपी) वार्ता के दौरान कड़ा रुख अपनाने और निर्णय लेने के लिए, रामसिंह परमार और जेठाभाई भारवाड़ ने भारत सरकार के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया है। इससे हमारे देश के 10 करोड़ डेयरी किसानों को फायदा होगा। देश का डेयरी उद्योग हमेशा अपने हितों की रक्षा करने के लिए सरकार का आभारी रहेगा और न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे डेयरी अधिशेष देशों की मांग के लिए आत्मसमर्पण नहीं करेगा, अमूल ने एक विज्ञप्ति जारी कर बताया।