फेक न्यूज के फैलने से महाराष्ट्र के दो अर्बन कॉपरेटिव बैंक – अभ्युदय सहकारी बैंक और एनकेजीएसबी सहकारी बैंक पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। सोशल मीडिया पर बैंक की वित्तीय स्थिति पर उड़ी अफवाह के मद्देनजर इन बैंकों के जमाकर्ताओं ने मात्र दो दिनों में 180 करोड़ रुपये तक की निकासी की है।
सोशल मीडिया पर वायरल मेसेज के मुताबिक, “अगर किसी का अभ्युदय बैंक में खाता हैं, तो वह अपने सभी फंड को अन्य बैंकों में ट्रांसफर कर दें। एनकेजीएसबी बैंक से भी।”
“भारतीयसहकारिता” से बात करते हुए, अभ्युदय कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष संदीप घंडत ने कहा, “सोशल मीडिया पर फैली गलत अफवाहों के बाद जमाकर्ताओं ने मुंबई में स्थित बैंक की विभिन्न शाखाओं से अपना पैसा वापस निकाल लिया”।
“हमारे कर्मचारियों ने उन्हें समझाने की काफी कोशिश की कि यह गतल खबर है, इसे गंभीरता से न लें, लेकिन उन्होंने किसी की बात नहीं मानी और अपना पैसे वापस देने को कहा”, घंडत ने कहा जिनका बैंक भारत में चौथे सबसे बड़े यूसीबी में गिना जाता है।
जमाकर्ताओं ने बैंक की विभिन्न शाखाओं से अपनी बचत और अन्य खातों से 140 करोड़ रुपये तक निकाल लिए हैं। उन्होंने परिपक्वता से पहले अपने फिक्स्ड डिपॉजिट को भी तोड़ दिया है।
“अब स्थिति थोड़ी बेहतर है और बैंक जमाकर्ताओं को यह समझाने में सफल हो गया है कि खबर गलत थी। कई जमाकर्ता अपने पैसे पुनः जमा कर रहे हैं”, घंडत ने संतोष की भावना से कहा।
एनकेजीएसबी बैंक के सीईओ चिंतामणि नाडकर्णी ने कहा, “अफवाहें निराधार हैं और बैंक की वित्तीय स्थिति ठीक है। बैंक के लेखा परीक्षक कभी भी जमाकर्ताओं के पैसे की सुरक्षा को लेकर चिंतित नहीं हुए। लेकिन इस फर्जी खबर ने बैंक के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं”।
“जमाकर्ताओं ने समाचार के मद्देनजर 40 करोड़ तक निकाले थे क्योंकि वे घबरा गए थे। हमने सार्वजनिक सूचना जारी की है जिसमें हम अपने सदस्यों, जमाकर्ताओं और अन्य लोगों से इस आधारहीन समाचार को अनदेखा करने के लिए कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि बैंक अपने सभी ग्राहकों से इस तरह की अफवाहों का शिकार न होने की अपील करता है।
अभ्युदय कोऑपरेटिव बैंक का कारोबार 17,500 करोड़ रुपये और एनकेजीएसबी सहकारी बैंक की कुल जमा राशि 7,601 करोड़ रुपये है।
हालांकि, दोनों बैंकों ने मुंबई पुलिस की साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है। यह खबर बड़े पैमाने पर इसलिए भी फैली क्योंकि अभी भी घोटाला ग्रस्त पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक के जमाकर्ता अपने पैसे वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।