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इफको एजीएम सफलतापूर्वक सम्पन्न; गांधी जयंती मनाने की अब होगी तैयारी

दुनिया की सबसे बड़ी उर्वरक सहकारी संस्था ‘इफको’ ने अपनी 49वीं एजीएम का आयोजन दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय में बुधवार को किया। एजीएम में महात्मा गांधी के योगदान को याद किया गया और इफको ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट उन्हें समर्पित की।

हर साल की तरह इस साल भी इफको ने अपने शेयरधारकों को उच्चतम लाभांश 20 प्रतिशत दिया। साफ-सुथरी, पारदर्शी और तकनीक-सक्षम एजीएम कई मायनों में अद्वितीय थी। यह शायद पहली कॉपरेटिव एजीएम थी जो एक हाइब्रिड मॉडल – डिजिटल के साथ-साथ भौतिक रूप से संचालित की गई।

इफको ने देश भर में विभिन्न स्थानों पर लगभग 112 एजीएम केंद्र स्थापित किए थे। संस्था के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और एमडी दिल्ली स्थित इफको मुख्यालय से मंच का संचालन कर रहे थे।

कोरम पूरा न होने के कारण प्रतिनिधियों को कुछ समय तक प्रतीक्षा कर पड़ी। इफको के संयुक्त एमडी राकेश कपूर ने सुबह 11 बजे इस बात को रेखांकित किया कि 167 सदस्यों से कोरम पूरा होता है, जबकि केवल 57 सदस्य ही मौजूद हैं।

कपूर ने एमएससीएस एक्ट, 2002 की प्रासंगिक धाराओं का हवाला देते हुए कहा कि एमएससीएस अधिनियम के मुताबिक, कोरम पूरा नहीं होने पर एजीएम को आधे घंटे के लिए स्थगित किया जाता है। बाद में, 30 मिनट के बाद इफको की एजीएम को अध्यक्ष बीएस नकई के निर्देश पर पुनः आहूत किया गया।

जब एजीएम दोबारा दोपहर 12 बजे शुरू हुई तो संयुक्त एमडी कपूर ने बताया कि 57 प्रतिनिधि इफको मुख्यालय में मौजूद थे, जबकि लगभग 729 प्रतिनिधि ज़ूम के माध्यम से जुड़े हुए थे, जिसका मतलब कि आरजीबी में सदस्यों की 95 प्रतिशत भागीदारी थी।

इफको एजीएम की कार्यवाही में भव्यता के साथ राष्ट्रीय एकता की भावना प्रदर्शित हुई। विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि अपने-अपने स्थानीय वस्त्र पहने हुए थे और अपनी स्थानीय भाषा में बात कर रहे थे। एजीएम में बंगाली, दक्षिण भारतीय, उड़िया, बिहारी, मणिपुरी समेत अन्य राज्यों के प्रतिनिधि मौजूद थें।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में बीएस नकई ने पिछले वर्ष में इफको की उपलब्धियों को सूचीबद्ध किया और सभी को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने इफको के विकास के लिए एमडी और उनकी टीम के अथक परिश्रम की सराहना की।

इस अवसर पर इफको के एमडी डॉ यूएस अवस्थी ने बताया कि इफको ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट महात्मा गांधी को क्यों समर्पित की है।महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम के तहत असहयोग,अहिंसा को अंग्रेजों के खिलाफ अस्त्र के रूप में प्रयोग किया और यह उनकी 150वीं जयंती वर्ष है और इसमें इफको अपना छोटा योगदान दे रहा है।

अवस्थी ने घोषणा करते हुए कहा कि 2 अक्टूबर को इफको ने पूरे भारत में एक लाख पचास हजार किसानों को उनके स्थानों पर ही नैनो उर्वरक वितरित करने की योजना बनाई है।

अवस्थी ने एजीएम के दौरान नैनो तकनीक पर विस्तार से बात की, जिसमें घोषणा की गई कि वैश्विक पेटेंट हासिल करने के बाद दो और नैनो इकाइयों को आंवला और फूलपुर में स्थापित किया जाना है। उन्होंने कहा कि भूमि-पूजन पहले ही हो चुका है। इफको पीएम के आत्मनिर्भार भारत के सपने को साकार करने के लिए इच्छुक है; नैनो तकनीक उसी के उदाहरणों में से एक होगी, उन्होंने कहा।

अवस्थी ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, “मैं आपसे वादा करता हूँ कि अगले खरीफ सीजन तक इफको 3 करोड़ नैनो बोतलें उपलब्ध कराएगा और अगली रबी तक यह आंकड़ा 10 करोड़ तक पहुंच जाएगा”। डीलरों के कमीशन को प्रभावित किए बिना नैनो उर्वरकों की कीमत 10% सस्ती है, एमडी ने रेखांकित किया।

एजीएम में इफको के एमडी ने एग्री इन्फ्रा फंड को लोकप्रिय बनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया कि कृषि-उद्यमिता इस फंड का कैसे उपयोग करें।

इसके अलावा, इफको ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर सभी नियमों और शर्तों का सख्ती से पालन किया। इफको भवन के भूतल पर स्थित इफको सभागार में एक पंक्ति में सिर्फ दो व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था की गई ताकि सामाजिक दूरी जैसे नियमों का सख्ती से पालन किया जा सके।

इस एजीएम में सामान्य से अधिक वक्ताओं की भागीदारी भी देखी गई। राज्यों के 25 से अधिक वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए।दिलचस्प बात यह है कि कृभको के निदेशक सुनील कुमार सिंह ने इस अवसर पर इफको एमडी की प्रशंसा करते हुए उनकी उपलब्धियों की सराहना की और उनसे बिहार में नैनो को लॉन्च करने का अनुरोध किया। बिहार वही राज्य है जहाँ से महात्मा गांधी और जय प्रकाश नारायण ने राजनीतिक प्रयोग आरंभ किया था, सुनील ने रेखांकित किया।

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए, इफको के उपाध्यक्ष दिलीप संघानी ने कहा “मैं सभी प्रतिनिधियों का उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए आभारी हूँ। मैं कोविड-19 काल के दौरान इस एजीएम को सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए डॉ अवस्थी को विशेष धन्यवाद देता हूं”।

इफको की आईटी टीम ने भी एजीएम को सफल बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी। इसके अलावा एजीएम के एक अन्य स्टार तरुण भार्गव थे, जिन्होंने न केवल एमडी के दृष्टिकोण को क्रियान्वित किया, बल्कि एजीएम में एंकरिंग भी की थी।

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