“टाइम्स ऑफ इंडिया” की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी समिति अधिनियम में संशोधन किया है। इस संशोधन से दागी नेताओं को राज्य में सहकारी चुनाव लड़ने की अनुमति मिली है।
पाठकों को याद होगा कि 2016 में देवेंद्र फड़नवीस सरकार ने इस अधिनियम में संशोधन कर दागी नेताओं को सहकारी चुनाव लड़ने से रोका था।
हालांकि विपक्षी नेता और सामाजिक कार्यकर्ता इस कदम की काफी आलोचना कर रहे हैं।
2011 में, जब कांग्रेस-एनसीपी सरकार सत्ता में थी तो आरबीआई ने नाबार्ड की सिफारिश पर एमएससी बैंक बोर्ड को निरस्त कर दिया था। बैंक के निदेशकों में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और कुछ अन्य कांग्रेस और राकांपा नेता शामिल थे।