इफको ने पिछले सप्ताह शनिवार को “आत्मनिर्भर भारत और सतत कृषि” विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया था। इसको संबोधित करते हुए केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने इफको के नैनो टेक्नोलॉजी आधारित उर्वरकों की सराहना की और इसे गेम चेंजर बताया।
इस अवसर पर मंत्री मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। वेबिनार में कर्नाटक के 1500 से अधिक किसान ‘जूम’ ऐप के माध्यम से जुड़े और कई लोगों ने इसे ‘यूट्यूब’ पर लाइव देखा।
इफको के एम डी डॉ यू एस अवस्थी, मार्केटिंग डायरेक्टर योगेंद्र कुमार, इफको के कर्नाटक के मार्केटिंग मैनेजर डॉ नारायणस्वामी, कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बैंगलोर के कृषि वैज्ञानिक और अन्य प्रतिष्ठित गणमान्य लोगों ने वेबिनार में भाग लिया।
अपने भाषण में, गौड़ा ने नैनो प्रोडक्ट के बारे में विस्तार से बात की जिसे इफको ने विकसित किया है और पेटेंट करवाने के लिए सरकार के पास आवेदन दिया है।
“नैनो उत्पादों से न केवल खेती की लागत कम होगी, बल्कि पैदावार में इजाफा होगा। मैं व्यक्तिगत रूप से सोमवार-मंगलवार को इसके पेटेंट के मुद्दे पर प्राथमिकता के आधार पर गौर करूंगा”, मंत्री ने उद्योग के अनुकूल सरकार के इशारे को प्रदर्शित करते हुए कहा।
“स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देने के प्रधानमंत्री के “आत्मनिर्भर भारत” की दृष्टि के अनुसार, हम सभी उर्वरक कंपनियों को गैस आधारित तकनीक में परिवर्तित कर रहे हैं। हाल ही में हमने भारत में चार यूरिया संयंत्र (रामागुंडम, सिंध्री, बरौनी और गोरखपुर) को पुनर्जीवित किया है”, मंत्री ने रेखांकित किया।
मंत्री ने कहा कि उर्वरकों की कालाबाजारी पर रोक लगाने की जरूरत है। सरकार ने उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। किसी भी राज्य में उर्वरकों का स्टॉक आवश्यकता के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (आईएफ़एमएस) के माध्यम से केंद्रीय सरकार द्वारा इसकी निगरानी की जा रही है।
इफको के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए, गौड़ा ने कहा, “कोविड महामारी के दौरान इफको के सराहनीय प्रयासों से न केवल उर्वरकों की नियमित आपूर्ति हुई बल्कि किसानों के बीच महामारी को रोकने के लिए मास्क, सैनिटाइटर और दस्ताने भी वितरित किये गये।
“भारत में 31 उर्वरक कंपनियां हैं। इस वर्ष अच्छे मानसून के कारण यूरिया की खपत में 40% की वृद्धि हुई है। उर्वरक कंपनियों और रेलवे विभाग ने कोविड में उर्वरक की समय पर आपूर्ति में अधिक भूमिका निभाई, मंत्री ने जोर दिया।
इस अवसर पर इफको के एम डी डॉ यू एस अवस्थी ने कहा, “हम रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को धीरे-धीरे समाप्त करके जैव और जैविक उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। इफको ने सागरिका का आविष्कार किया है, जो किसानों के लिए काफी उपयोगी है।
इफको के नैनो उत्पादों की प्रभावशीलता पर प्रकाश डालते हुए अवस्थी ने कहा कि यह कृषि में एक क्रांति होगी। एक नैनो बोतल की क्षमता एक थैले उर्वरक के बराबर होती है। अतः अब किसान को थैला ढोने की जरूरत नहीं होगी। यूरिया के पुराने संस्करणों की तुलना में इसकी लागत 10% कम है और इसके लिए किसी सब्सिडी की भी आवश्यकता नहीं है। इस तकनीक से पीएम नरेंद्र मोदी के सपने को पूरा करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह पीएम के आत्मनिर्भर भारत के विजन की दिशा में एक कदम है।
वेबिनार के दौरान, इफको का थीम सॉंग “मिट्टी की जान, किसान किसान” बजाया गया।