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बैंकिंग विनियमन: मद्रास उच्च न्यायालय ने केंद्र को दिया 2 सप्ताह का समय

देश के सभी सहकारी बैंकों को आरबीआई की निगरानी में लाने के विरोध में तमिलनाडु के दो शहरी सहकारी बैंकों ने याचिका दायर की थी और मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार से दो सप्ताह में प्रति-शपथपत्र दाखिल करने को कहा है। पिछली सुनवाई 1 सितंबर 2020 को हुई थी और इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 13 अक्टूबर 2020 तय की गई है।

बता दें कि बिग कांचीपुरम कोऑपरेटिव टाउन बैंक लिमिटेड और वेलूर कोऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड ने याचिका दायर की थी।

अदालत के आदेश के अनुसार, “दूसरे प्रतिवादी (आरबीआई) की ओर से पहले ही याचिकाकर्ता के विद्वान वकील को प्रति-शपथपत्र की एक प्रति दी जा चुकी है। प्रथम प्रतिवादी (भारत सरकार) ने प्रति-शपथपत्र दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का और समय मांगा है”।

अदालत ने आदेश दिया, “याचिकाकर्ता के विद्वान वकील इसके बाद दो सप्ताह के भीतर रिज़्वाइंडर दाखिल कर सकते हैं।13.10.2020 को सूचीबद्ध किया जाए”। मुख्य न्यायाधीश एपी साही और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की प्रथम पीठ ने इस मामले की सुनवाई की।

अपर महाधिवक्ता पी एच पांडियन और उनके सहयोगी एल पी शनमुगसुन्दरम “कांचीपुरम कोऑपरेटिव टाउन बैंक लिमिटेड” का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। भारतीय रिजर्व बैंक के वरिष्ठ वकील एएल सोमायाजी ने दलीलों का विरोध किया।

‘भारतीयसहकारिता’ से बात करते हुए बिग कांचीपुरम कोऑपरेटिव टाउन बैंक के महाप्रबंधक हरि कृष्ण ने कहा, “पीठ ने अगली सुनवाई की तारीख 13 अक्टूबर 2020 को रखी है। आरबीआई के प्रतिनिधि ने अदालत को अवगत कराया कि अध्यादेश जमाकर्ताओं के हित में है। अदालत ने भारत सरकार से इस मामले पर दो सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है।

स्मरणीय है कि 20 जुलाई 2020 को हुई पिछली सुनवाई के दिन अदालत ने दोनों सहकारी बैंकों को कोई अंतरिम राहत नहीं दी थी।  सहकारी बैंकों ने अध्यादेश के प्रावधानों के लागू होने पर रोक लगाने की मांग की थी जो आरबीआई को सहकारी बैंकों के विनियमन और समापन से संबंधित अधिकार देता है।

इससे पहले, तर्कों का विरोध करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील एएल सोमयाजी ने कहा कि अन्य गतिविधियों के संबंध में एक सहकारी समिति राज्य का विषय हो सकती है। सोमायजी ने आगे कहा कि अध्यादेश बैंकों को केवल बैंकिंग नियमों के तहत लाने और जनता के हितों की रक्षा करने के लिए पारित किया गया है।

देश में 1,500 से अधिक यूसीबी हैं, जो मुख्य रूप से कृषकों और मध्यम वर्ग के लोगों को प्रदान किए गए 7.27 ट्रिलियन रुपये से अधिक के ऋणों का लेखा-जोखा रखते हैं।

दिलचस्प बात यह है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 14.9.2020 को बैंकिंग नियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 लोकसभा में पेश किया था जिसे 16.9.2020 को पारित किया गया।

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