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संसद में कृषि सुधार बिल पारित; आखिर क्यों हो रहा है इसका विरोध?

विपक्ष के भारी हंगामे के बीच, संसद में शनिवार को “कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020” और “कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020” पारित हो गया।

पीएम मोदी ने कृषि सुधार बिल पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं पहले भी कहा चुका हूँ और एक बार फिर कहता हूँ – एमएसपी की व्यवस्था जारी रहेगी। सरकारी खरीद जारी रहेगी। हम यहाँ अपने किसानों की सेवा के लिए हैं। हम अन्नदाताओं की सहायता के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे और उनकी आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करेंगे।”

मोहनदास पई और आनंद पनगढ़िया जैसे विशेषज्ञों का कहना है कि प्रधानमंत्री के ऐसे स्पष्ट बयानों के बावजूद, कुछ निहित स्वार्थ किसानों को गुमराह करने में सक्रिय हैं। संसद में हंगामे के बीच टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन वेल में पहुंच गए और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण को हाउस रूल बुक दिखाई। इस दौरान उन्होंने माइक तोड़ा और कागज फाड़े। साथ ही उपसभापति से विधेयक छीनने की कोशिश भी की।

हालांकि सांसदों को सत्र के शेष समय के लिए निलंबित कर दिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि फ़ार्म बिल किसानों को एपीएमसी की जकड़ से आज़ाद करेगा।

नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष आनंद पांगढ़िया ने कहा, “इस रिफॉर्म्स की मांग अर्थशास्त्री दो दशकों से कर रहे थे। यह ख़ुशी की बात है कि विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच कृषि क्षेत्र से जुड़े दोनो  विधेयक संसद में पास हो गए हैं।

इकोनॉमिक टाइम्स के हवाले से मोहनदास पाई ने कहा, “प्रमुख किसान निकायों ने संसद द्वारा बड़े कृषि सुधारों के उद्देश्य से पारित बिलों का तहे दिल से स्वागत किया है, यद्यपि पंजाब और हरियाणा से कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं, जिनमें प्रभावशाली बिचौलिए और कमीशन एजेंट हैं।”

इसका ज्यादातर  विरोध बिचौलिए कर रहे है और कई राजनेता हैं जो किसानों और मार्किट के बीच में बिचौलियों का काम करते रहे हैं।

खबरों के मुताबिक, अकाली दल के सुखवीर सिंह बादल “सुखवीर एग्रो” के नाम से एक कंपनी चलाते हैं, जिसने किसानों और एफसीआई के बीच कमीशन एजेंट के रूप में काम किया और इस प्रक्रिया में एक बड़ा कमीशन कमाया। मोदी की कैबिनेट में एक मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस बिल को किसान विरोधी बताते हुए इस्तीफा दे दिया।

यह कोई छिपी बात नहीं है कि शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने अपने चुनावी हलफनामे में कृषि आय के रूप में झूठे आंकड़े दिखाए। जानकार सूत्रों का कहना है कि पवार परिवार का उनके क्षेत्र में कृषि व्यवसाय के एक बड़े  हिस्से पर नियंत्रण है और इस प्रक्रिया में मोटा कमीशन कमाता है। बिल के लिए उनका विरोध समझ में आता है।

इस बिल का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य दिलाना है ताकि वे अपनी आय और आजीविका की स्थिति सुधार सकें। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने फिर से स्पष्ट किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद जारी रहेगी, इसके लिए आश्वासन खुद माननीय प्रधानमंत्री ने दिया है। आने वाले रबी सीजन के लिए एमएसपी की दर में काफी वृद्धि की गई है।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इन विधानों में किसानों के लिए पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।

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