नेशनल फेडरेशन ऑफ स्टेट कोऑपरेटिव बैंक (नैफ़्सकॉब) के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने सहकारी बैंकों को लाभांश का भुगतान करने की अनुमति देने की मांग की है, जिससे किसान सीधे लाभान्वित होते हैं। बता दें कि कोविड-19 के मद्देनजर आरबीआई ने लाभांश की घोषणा व भुगतान करने के संबंध में बैंकों पर प्रतिबंध लगाया गया था।
इस संदर्भ में संघानी ने हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिखा है, जिसका शीर्षक “बैंकों द्वारा लाभांश की घोषणा” है।
नैफ़्सकॉब के अध्यक्ष का तर्क है कि सहकारी बैंकों का कामकाज राष्ट्रीयकृत और निजी बैंकों से पूरी तरह से अलग है। शॉर्ट टर्म क्रेडिट सुविधा प्रदान करने के लिए हमारे देश में सहकारिता दो और तीन स्तरीय संरचना में काम कर रही है, जिसका मतबल यह है कि राज्य सहकारी बैंक, डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैक (डीसीसीबी) को लाभांश देते हैं और डीसीसीबी, प्राथमिक सहकारी क्रेडिट सोसाइटी (पैक्स) को लाभांश स्थानांतरित करती है, जिससे ज्यादातर किसान जुड़े होते हैं, संघानी ने कहा।
सहकारी बैंकों पर लाभांश के भुगतान पर प्रतिबंध लगाने से पैक्स की वित्तीय स्थिति काफी प्रभावित होगी और साथ ही किसानों को उनकी शेयर पूंजी निवेश पर लाभांश से वंचित होना पड़ेगा, उन्होने रेखांकित किया है।
इस मुद्दे पर पुनर्विचार के लिए वित्त मंत्री से अनुरोध करते हुए संघानी ने कहा कि सभी सहकारी बैंकों को 31.3.2020 को समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए लाभांश के भुगतान की अनुमति दी जाए।
नैफ़्सकॉब अध्यक्ष ने यह भी मांग की कि पूंजी के संरक्षण और नुकसान के अवशोषण के लिए, सभी सहकारी बैंकों को चालू वर्ष के लिए आयकर में छूट दी जानी चाहिए।