संकटग्रस्त आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के कई निवेशकों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और परिसमापक को याचिकाकर्ताओं का पैसा 60 दिनों के भीतर चुकाने का आदेश दिया है, भारतीय सहकारिता को देरी से प्राप्त एक खबर के अनुसार।
अदालत के आदेशानुसार, “भारत सरकार और आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के परिसमापक एच एस पटेल को याचिकाकर्ताओं के दरखास्त पर निर्णय लेने का निर्देश दिया जाता है, जिसमें आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के निवेशकों द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत जमा की गई राशि का भुगतान करने के बारे में उल्लेख किया गया है।”
अदालत के आदेश के अनुसार, “यह उम्मीद की जाती है कि अधिकारी यथाशीघ्र या बेहतर होगा कि इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से 60 दिनों भीतर शुद्ध रूप से नियम और दिशानिर्देशों के अनुसार एक निर्णय लेंगे”।
बता दें कि रायपुर और बिलासपुर के कई याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता विवेक कुमार अग्रवाल के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
निवेशकों द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, “वे 2015 से सोसाइटी में निवेश कर रहे हैं और सोसाइटी छत्तीसगढ़ के लगभग सभी जिलों में सक्रिय रही है। हमने रकम पर उच्च ब्याज के चलते अपनी मेहनत की कमाई को सोसायटी में जमा किया।”
“2019 में, सोसाइटी की शाखाएं अचानक बंद हो गईं, जिसके कारण सभी निवेशकों की राशि सोसाइटी में फँस गई। सरकार ने सोसाइटी में परिसमापक को नियुक्त किया है, लेकिन परिसमापक धन वापस दिला पाने में विफल रहा है”, दायर याचिका में लिखा है।
इससे पहले, संकटग्रस्त सहकारी आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी के निवेशकों ने प्रधानमंत्री, केंद्रीय कृषि मंत्री, वित्त मंत्री और अन्य संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखा था, लेकिन फिलहाल कोई राहत नहीं मिली।
स्मरणीय है कि पिछले साल अक्टूबर में ईडी ने आदर्श क्रेडिट को-ऑप सोसाइटी की 1,489 करोड़ रुपये की संपत्ति को सीज किया था।
आदर्श क्रेडिट को-ऑप के संस्थापक चेयरमैन मुकेश मोदी और उनके परिवार के सदस्यों पर आरोप है कि उन्होंने पोंजी स्कीम चलाकर कई फर्जी कंपनियां बनाई जिसमें उन्होंने 8400 करोड़ रुपये इधर से उधर किये। आदर्श क्रेडिट सोसाइटी में 8 साल में 20 लाख लोगों ने 14,682 करोड़ रुपये का निवेश किया।