नेशनल कोऑपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया के चुनाव के लिए पात्र मतदाताओं की अंतिम सूची सोमवार देर शाम जारी की गई। 23 नवंबर 2020 को होने वाले चुनाव के दौरान 250 मतदाताओं में से केवल 132 डेलिगेट ही वोट डालने के पात्र हैं।
इसके अलावा, बहु राज्य सहकारी समिति अधिनियम और नियम 2020 और एनसीयूआई के उपनियमों के प्रावधानों के अनुसार 35 प्रतिनिधियों का नामांकन अवैध पाया गया है। इनका नामांकन लंबित बकाए, अधूरे दस्तावेजों, आदि के आधार पर खारिज किया गया है।
यूपी स्टेट को-ऑप बैंक के चेयरमैन तेजवीर सिंह, झारखंड स्टेट को-ऑप बैंक के चेयरमैन अभय कांत प्रसाद, तेलंगाना स्टेट कॉप एपेक्स बैंक के अध्यक्ष के रविंदर राव, इंडियन नेशनल कोऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक अरुण सिंह तोमर समेत कई अन्य सहकारी नेताओं का नामांकन रद्द किया गया है।
इस बीच, सोमवार को एनसीयूआई परिसर में काफी गहमागहमी थी, जहाँ देश के विभिन्न हिस्सों से नेता पात्र मतदाताओं की अंतिम सूची में अपना नाम सुनिश्चित करने के लिए आए थे। इस मौके पर भारतीय सहकारिता संवाददाता ने एनसीयूआई मुख्यालय में निवर्तमान अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह यादव और अशोक डबास सहित कई अन्य नेताओं को देखा था।
एनसीयूआई के इतिहास में संभवत: यह पहला चुनाव है जब अधिकांश राज्य संघों के प्रमुख बीजेपी समर्थक हैं। सूत्रों के मुताबिक, आरएसएस से जुड़ी संस्था सहकार भारती इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा रही है।
विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि सहकार भारती के वरिष्ठ नेता सतीश मराठे और उदय जोशी शहर में डेरा डाले हुए हैं। दोनों यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि पर्याप्त संख्या में सहकार भारती के सदस्य योग्य मतदाता सूची में हों ताकि वे अपने प्रतिनिधियों को एनसीयूआई की गवर्निंग काउंसिल के लिए चुन सकें।
सूत्रों के अनुसार, अंतिम सूची में सहकार भारती के दो दर्जन से अधिक सदस्य हैं। इसके अलावा, मराठे और जोशी की जोड़ी उनके समर्थन में सहयोग प्राप्त करने के लिए सहकारी नेताओं के साथ बैठक करने में व्यस्त हैं। यह न केवल बहु-राज्य निर्वाचन क्षेत्रों के प्रमोद सिंह, बल्कि निवर्तमान अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह को परेशान कर सकता है, जिनके कुछ ही समर्थक चुनाव के बाद शीर्ष निकाय की गवर्निंग काउंसिल में स्थान पा सकते हैं।
इस बीच, सोमवार को “भारतीयसहकारिता से बात करते हुए प्रमोद सिंह ने कहा कि उनके लिए चुनाव जीतना मुश्किल नहीं है और उन्हें यकीन है कि उनका पुन: चुनाव जीतना तय है। मल्टी स्टेट को-ऑप सोसाइटियों के पास अब कुल 44 मतदाता हैं, जिनमें से अधिकांश सहकार भारती से संबंधित हैं ।
अशोक डबास के चुनाव जीतने को लेकर भी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है क्योंकि निवर्तमान निदेशक गुरुप्रताप सिंह खुशालपुर फिर से चुनाव लड़ सकते हैं।
इस बीच, उत्तराखंड प्रादेशिक सहकारी संघ के अध्यक्ष और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के एक निकट सहयोगी प्रदीप कुमार की जीत पक्की है, क्योंकि उनके खिलाफ कोई प्रतिद्वंद्वी है।
स्मरणीय है कि एनसीयूआई के बोर्ड में लगभग 16 निर्वाचित सीटें हैं, जिन पर चुनाव होना हैं। लेकिन मुख्य लड़ाई चार सीटों के इर्द-गिर्द है, जहां बहुत सारे मतदाता होने के साथ-साथ बहुत सारे उम्मीदवार भी हैं। मल्टी स्टेट को-ऑप सोसायटी एक ऐसा ही निर्वाचन क्षेत्र है और अन्य हैं चीनी, श्रम और मत्स्य सहकारी संघ।
उम्मीद है कि रिटर्निंग ऑफिसर सुनील कुमार संभवतः आज चुनाव कार्यक्रम जारी करे सकते हैं। एक सूत्र के मुताबिक, चुनाव के लिए नामांकन 17 नवंबर से शुरू हो सकता है