एनसीयूआई द्वारा 67वें अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह के मौके पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए केरल के सहकारिता मंत्री कडकमपल्ली सुरेंद्रन ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बुरे प्रभाव से निपटने के लिए राज्य में फैले सहकारी समितियों के नेटवर्क का सहारा लिया गया। इस वर्ष के सहकारिता सप्ताह का विषय “कोविद महामारी – आत्मनिर्भर भारत – सहकारिता” है।
मंत्री ने कहा कि सहकारिता की जन-उन्मुख नीतियों ने राज्य में कोरोना महामारी के कठिन समय के दौरान समाज के जरूरतमंद वर्गों को बैंकिंग और गैर-बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने में मदद की।
इस वेबिनार में राष्ट्रीय और राज्य स्तर के सहकारी संगठनों के प्रमुख प्रतिनिधियों के अलावा सहकारी शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और अन्य संगठनों के अधिकारियों ने व्यापक रूप से भाग लिया।
सुरेंद्रन ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान सहकारी गतिविधियों ने दूसरों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने इस संबंध में केरल मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन, केरल स्टेट कंज्यूमर फेडरेशन, मत्स्यफेड आदि सहकारी संस्थाओं द्वारा निभाई गई भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सामुदायिक रसोई बनाने में मदद के लिए छोटी सहकारी समितियां भी आगे आईं।
अपने अध्यक्षीय भाषण में, एनसीयूआई के अध्यक्ष डॉ चंद्र पाल सिंह यादव ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के माध्यम से पैक्स को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने जनता के बीच सहकारी क्षेत्र की सफलता की कहानियों को लोकप्रिय बनाने पर भी जोर दिया। यादव ने कहा कि एनसीयूआई ने कोविड महामारी के दौरान अपने शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का ऑनलाइन विस्तार किया है।
एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एन सत्य नारायण ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि भारत में सहकारी समितियां कोविड महामारी के दौरान अधिक मजबूत हुईं। उन्होंने यह भी कहा कि सहकारी समितियाँ आत्मानिर्भर भारत के निर्माण में एक अहम भूमिका रखती हैं क्योंकि इनकी पहुंच 95% से अधिक गाँवों में हैं, और किसानों को किसी अन्य संस्था की तुलना में सहकारी समितियों पर अधिक भरोसा है।
वरिष्ठ सहकारी नेता दिलीप संघानी ने सहकारी नेतृत्व को मजबूत करने का आह्वान किया और यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि सहकारी समितियों के लोकतांत्रिक और व्यावसायिक कामकाज के लिए संवैधानिक संशोधन के कार्यान्वयन में बाधाएं दूर की जाएं।
सतीश मराठे , निदेशक, आरबीआई ने इस अवसर पर बोलते हुए सभी आर्थिक गतिविधियों के लिए अग्रिम और ऋण की मात्रा बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने सहकारी वित्तीय संस्थानों की वृद्धि में ठहराव के मद्देनजर पैक्स, डीसीसीबी, सीसीबी, आदि के लिए सहकारी व्यापार मॉडल को फिर से डिजाइन करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
जीसीएमएमएफ के एमडी आरएस सोढ़ी ने कहा कि संकट में लोगों को निर्बाध सेवाएं प्रदान करके महामारी संकट से निपटने में अमूल एक बड़ी सफलता के रूप में उभरा। उन्होंने इस संबंध में अमूल के उदाहरण का हवाला देते हुए सहकारिता की सफलता के लिए राजनीतिक और पेशेवर नेतृत्व के कुशल संलयन का आह्वान किया।
आईआरएएमए के निदेशक प्रो हितेश भट्ट ने सहकारी समितियों में नेतृत्व को मजबूत करने पर जोर दिया, जबकि केजी सुरेश, कुलपति, माखनलाल विश्वविद्यालय ने सहकारी समितियों के लिए प्रभावी संचार रणनीति विकसित करने पर जोर दिया।
भारत के माननीय उपराष्ट्रपति, भारत के प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों के संदेशों को पढ़ा गया। संजय वर्मा, उप निदेशक, पीआर, एनसीयूआई ने इस आयोजन का समन्वयन किया।