सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश वैद्य, सतीश मराठे, सहकार भारती की कर्नाटक यूनिट के महसचिव कृष्णा रेड्डी समेत अन्य लोगों ने कर्नाटक के सहकारिता मंत्री एसटी सोमशेखर से मुलाकात कर पीएमसी और गुरु राघवेंद्र सहकारी बैंक से संबंधित मामले पर चर्चा की।
“प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री के समक्ष कई मुद्दों को उठाया और उन्हें जल्द से जल्द हल करने का आग्रह किया। उन्होंने मंत्री से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिलने का आग्रह किया और उनसे पीएमसी बैंक और गुरु राघवेंद्र सहकारी बैंक की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा ताकि जमाकर्ताओं के हित का संरक्षण किया जा सके”, रेड्डी ने फोन पर इस संवाददाता से कहा।
अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि सहकार भारती अपने आरएसएस-बीजेपी कनेक्शन का इस्तेमाल करके जमाकर्ताओं को न्याय दिलाने में सक्रिय हो गई है। सहकार भारती ने मंत्री के अलावा, जमाकर्ताओं की एसोसिएशन, एमएलए, एमएलसी समेत अन्य लोगों के साथ कई बैठकें की हैं।
मंत्री से बैठक के तुंरत बाद, मराठे ने इसका विवरण अपनी फेसबुक वॉल के माध्यम से साझा किया। “संकटग्रस्त पीएमसी बैंक और बंगलोर स्थित श्री गुरु राघवेंद्र सहकारी बैंक लिमिटेड के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करने में सहकार भारती सक्रिय हो गई है। सांविधिक लेखा परीक्षा का आरंभ मार्च 2020 के लिए खातों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद होगा”।
“पिछले कई वर्षों से चल रही धोखाधड़ी के कारण वार्षिक खातों को अंतिम रूप देने में देरी हुई। एक बार सही वित्तीय स्थिति ज्ञात हो जाने के बाद – जो जून 2021 तक अपेक्षित है – संकटग्रस्त बैंक के लिए पूंजी जुटाने के लिए कदम उठाए जाएंगे। माननीय सोमेश्वरजी, सहकारी मंत्री ने हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। आशा है कि सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी और समर्थन के साथ, हमारा प्रयास सफल होगा”, उन्होंने आगे लिखा।
रेड्डी ने आगे कहा कि बैठक का आयोजन मंत्री के कार्यालय में किया गया था और करीब एक घंटे तक चली। क्रेडिट सोसाइटी और शहरी सहकारी बैंकों से संबंधित मुद्दों को भी उठाया गया था। इससे पहले, सहकार भारती टीम ने गुरु राघवेंद्र सहकारी बैंक जमाकर्ता संघ से मुलाकात की और मामले पर चर्चा की।
हालांकि भारतीय रिज़र्व बैंक उक्त बैंक पर जारी दिशा-निर्देशों की अवधि में लगातार विस्तार कर रहा है, लेकिन अभी भी जमाकर्ता अपना पैसा वापस पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
बैंक के लगभग 40,000 जमाकर्ता घोटाले का शिकार हुए हैं और उनमें से अधिकांश वरिष्ठ नागरिक हैं। इस बीच सैकड़ों जमाकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन भी किया है लेकिन फिलहाल कुछ हाथ नहीं लगा।