महाराष्ट्र स्थित प्रवारा सहकारी बैंक वित्त वर्ष 2020-21 में बढ़ते एनपीए को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफल रहा है।
बैंक का शुद्ध एनपीए वित्त वर्ष 2020-21 में 16.26 प्रतिशत से घटकर 6.13 प्रतिशत हो गया जबकि सकल एनपीए 22.57 प्रतिशत से घटकर 11.50 प्रतिशत हो गया। इसके अलावा, बैंक का लक्ष्य वर्तमान वित्तीय वर्ष के अंत तक नेट एनपीए को शून्य करना है, बैंक के अधिकारियों ने दावा किया।
बैंक न केवल एनपीए को नियंत्रित करने में सफल रहा, बल्कि पिछले वर्ष यानी 2019-20 की तुलना में 2020-21 में लगभग सभी वित्तीय मापदंडों पर वृद्धि दर्ज की।
बैंक की ओर से भारतीय सहकारिता को भेजे गए वित्तीय आंकड़ों के अनुसार, “31 मार्च 2021 तक जमा राशि 597 करोड़ रुपये से बढ़कर 644 करोड़ रुपये हो गई जबकि ऋण और अग्रिम 279 करोड़ रुपये से बढ़कर 373 करोड़ रुपये हो गई। इसके अलावा, बैंक का सकल लाभ भी 10.44 करोड़ रुपये से बढ़कर 14.45 रुपये हो गया है।
बाद में, प्रवारा सहकारी बैंक के सीईओ सौरभ बालोट (इन-चार्ज) ने भारतीय सहकारिता से बात करते हुए कहा, “2020-21 में हमारी टीम ने उच्च वसूली की है और इस प्रकार एनपीए के स्तर को नियंत्रित करने में सफल रही है। बैंक ने 14.45 करोड़ का सकल लाभ दर्ज किया है लेकिन बैंक ने अपने बैड एंड डाउटफुल डेट के लिए अच्छे प्रावधान किए हैं और वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 1.71 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया है। इसके अलावा, बैंक ने चालू वित्त वर्ष के अंत तक अपने शुद्ध एनपीए को शुन्य करने का लक्ष्य रखा है।”
पाठकों को याद होगा कि बैंक ने हाल ही में 2019-20 के लिए अपनी 46 वीं वार्षिक आम बैठक का आयोजन किया था, जिसका उद्घाटन लोकसभा के अहमदनगर के सांसद सुजय विखे पाटिल ने किया था।
प्रवारा सहकारी बैंक का पंजीकरण 1974 में हुआ और जून 1975 में बैंकिंग व्यवसाय शुरू किया था। यह बैंक 5 अप्रैल 2003 को भारतीय रिज़र्व बैंक की दूसरी अनुसूची में शामिल किया गया और एक अनुसूचित सहकारी बैंक बन गया।
बैंक मूल रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जरूरतों को पूरा कर रहा है। बैंक का प्रधान कार्यालय लोनी बीके में स्थित है।