कृभको के पूर्व अध्यक्ष वी आर पटेल और इफको के को-ऑपरेटिव रिलेशन के पूर्व निदेशक डॉ जी एन सक्सेना कोरोना के खिलाफ जंग हार गए।
जैसे ही कृभको के एमडी राजन चौधरी ने वाघजीभाई के निधन की खबर को साझा किया वैसे ही उनके प्रशंसकों और शुभचिंतकों ने सोशल मीडिया पर शोक संवेदना प्रकट की।
कृभको के एमडी राजन चौधरी ने लिखा “बहुत दुखद समाचार! हमारे पूर्व चेयरमैन श्री वाघजिभाई बोड़ा आज (24 अप्रैल) कोरोना से जंग हार गए”।
बिस्कोमान के अध्यक्ष सुनील सिंह ने लिखा, “बहुत ही दुखद समाचार! ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें! मैं बिहार सहकारिता एवं बिस्कोमॉन परिवार की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ”। बता दें, अतीत में सिंह ने कृभको बोर्ड में पटेल के नेतृत्व में काम किया है।
भारतीय सहकारिता से बात करते हुए, कृभको के वर्तमान अध्यक्ष डॉ चंद्र पाल सिंह यादव ने वीआर पटेल के निधन पर शोक व्यक्त किया। “उनका कृभको के साथ गहरा रिश्ता था। वह एक ईमानदार व्यक्ति थे, जो पूरी तरह से सहकारिता के उत्थान के लिए समर्पित थे”, चंद्र पाल ने कहा।
चंद्र पाल ने यह भी कहा कि वाघजीभाई बोड़ा ने गुजरात में कई सहकारी समितियों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
डॉ जी एन सक्सेना के निधन की खबर सुनकर उनके शुभचिंतक भी स्तब्ध रह गए। सक्सेना की पत्नी की हालत गुरुवार शाम तक काफी गंभीर बनी हुई थी क्योंकि वह खुद कोविड पॉजिटिव थीं और सक्सेना उनकी देखभाल कर रहे थे। सक्सेना की दो बेटियां भी उनकी और उनकी पत्नी की देखभाल कर रही थीं लेकिन डॉक्टर साहब कोरोना से लड़ाई में हार गए।
इफको की डॉक्टर श्रीमती जैन, सक्सेना के परिवार के स्वास्थ्य की निगरानी में जुटी थीं और उन्हें अपनी पत्नी के साथ होम आइसोलेशन में रहने की सलाह भी दी थी, जो कोविड से लड़ने में बेहद कारगर साबित हो रहा है।
सूत्रों का कहना है कि डॉ जैन ने शुक्रवार की शाम डॉ सक्सेना ने से वादा किया था कि शनिवार सुबह उन्हें अस्पताल में भर्ती किया जाएगा लेकिन सक्सेना के लिए रात काटना मुश्किल हो गया था और दिल्ली के हौजखास एन्क्लेव में अपने घर पर उन्होंने अंतिम सांस ली।
डॉ सक्सेना का दो बेटियों और इफको के सुरक्षा कर्मचारियों की उपस्थिति में लोधी रोड श्मशान में अंतिम संस्कार किया गया।
इफको के एमडी डॉ अवस्थी सक्सेना के लिए प्रार्थना सभा रखना चाहते थे लेकिन उनके सहयोगियों ने वर्तमान स्थिति के मद्देनजर उन्हें ऐसा न करने की सलाह दी।
उर्वरक सहकारी संस्था में रहते हुए डॉ सक्सेना ने सरकार के शेयर को वापस करने में अहम भूमिका निभाई थी।