महाराष्ट्र सहकारी मंत्री हर्षवर्धन पाटिल ने घोषणा की कि सरकार सहकारी क्षेत्र में अनियमितताओं को रोकने के लिए जल्द ही एक सख्त कानून लाने वाली है.
उन्होंने विधान परिषद के सदस्यों को बताया कि नए कानून से लोगों में सहकारी बैंकों के प्रति विश्वास पैदा करने में मदद मिलेगी क्योंकि वित्तीय अनियमितताओं के कारण उनकी विश्वसनीयता खो गई है.
पेन शहरी बैंक और सहकारी बैंकों में घोटाले पर चर्चा के जवाब में उन्होंने कहा, “बैंकों और क्रेडिट सहकारी समितियों की सम्पत्ति जब्त कर ली जाएगी अगर उन्होंने निवेशकों के पैसे खो दिये हैं. हम हर तरह से 1960 के सहकारी कानून बदलने जा रहे हैं”. “सहकारी बैंकों, हाउसिंग सोसायटियों, क्रेडिट सहकारी समितियों और अन्य सहकारी क्षेत्र के लिए अलग कानून होने चाहिए. दोषपूर्ण बैंकों और समितियों के निर्देशकों को संपूर्ण सहकारी संस्थाओं से वर्जित कर दिया जाएगा. नए कानून के तहत, सरकार घोटालेबाजों को दंडित करने के लिए सभी प्रावधान करगी.”, उन्होंने आगे कहा.
श्री पाटिल ने कहा कि राज्य में 635 से अधिक सहकारी बैंक हैं, जिनमें से 35 का अन्य बैंकों में विलय कर दिया गया है. सरकार ने 18 बैंकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है, जबकि 11 बैंकों को प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है. 31 बैंकों की जांच अंतिम चरण में हैं और सरकार इन बैंकों के बारे में बहुत जल्दी ही निर्णय लेगी.
इससे पहले, शेतकारी कामगार पार्टी के जयंत पाटिल ने आरोप लगाया कि सरकार की नीति का लक्ष्य सहकारी क्षेत्र बंद करने का है. पेन अर्बन बैंक घोटाला भी इस प्रणाली का एक उदाहरण है, उन्होंने कहा.
एनसीपी के अरुण गुजराती, एस.क्यू.जामा, राजन तेली, परशुराम उपकार, रामनाथ मोटे और हुसैन डलवई ने बहस में भाग लिया.