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इफको नैनो यूरिया की पहली खेप को संघानी ने दिखाई हरी झंडी

इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर नैनो यूरिया तरल की अपनी पहली खेप किसानों के उपयोग हेतु उत्तर प्रदेश भेजी।

इफको नैनो यूरिया तरल एक नया और अनोखा उर्वरक है जिसे दुनिया में पहली बार इफको द्वारा गुजरात के कलोल स्थित नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर में इफको की पेटेंटेड तकनीक से विकसित किया गया है।

इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने 31 मई, 2021 को नई दिल्ली में हुई प्रतिनिधि महासभा के सदस्यों की 50वीं वार्षिक आम सभा की बैठक के दौरान इस उत्पाद को दुनिया के सामने पेश किया। इसकी पहली खेप को गुजरात के कलोल से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।

इफको के उपाध्यक्ष श्री दिलीप संघाणी ने कहा कि “इफको नैनो यूरिया 21वीं सदी का उत्पाद है। आज के समय की जरूरत है कि हम पर्यावरण, मृदा, वायु और जल को स्वच्छ और सुरक्षित रखते हुए  आने वाली पीढ़ियों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करें ।”

गुजरात के कलोल एवं उत्तर प्रदेश के आंवला और फूलपुर स्थित इफको की इकाइयों में नैनो यूरिया संयंत्रों के निर्माण की प्रक्रिया पहले ही शुरू की जा चुकी है। प्रथम चरण में 14 करोड़ बोतलों की वार्षिक उत्पादन क्षमता विकसित की जा रही है । दूसरे चरण में वर्ष 2023 तक अतिरिक्त 18 करोड़ बोतलों का उत्पादन किया जाएगा। इस प्रकार वर्ष 2023 तक ये 32 करोड़ बोतल संभवतः 1.37 करोड़ मीट्रिक टन यूरिया की जगह ले लेंगे, इफको की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया गया है।

लीचिंग और गैसीय उत्सर्जन के जरिये खेतों से हो रहे पोषक तत्वों के नुकसान से पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर असर हो रहा है। इसे नैनो यूरिया के प्रयोग से कम किया जा सकता है क्योंकि इसका कोई अवशिष्ट प्रभाव नहीं है।

इफको नैनो यूरिया के एक कण का आकार लगभग 30 नैनोमीटर होता है। सामान्य यूरिया की तुलना में इसका पृष्ठ क्षेत्र और आयतन अनुपात लगभग 10,000 गुना अधिक होता है। इसके अतिरिक्त, अपने अति-सूक्ष्म आकार और सतही विशेषताओं के कारण नैनो यूरिया को पत्तियों पर छिड़के जाने से पौधों द्वारा आसानी से अवशोषित कर लिया जाता है। पौधों के जिन भागों में नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है ये कण वहां पहुंचकर संतुलित मात्रा में पोषक तत्व प्रदान करते हैं।

आईसीएआर के अनुसंधान संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केन्द्रों और किसानों के जरिए अखिल भारतीय स्तर पर 11,000 से अधिक स्थानों और 40 से अधिक फसलों पर कराये गये प्रभावकारिता परीक्षण में यह सिद्ध हुआ है कि नैनो यूरिया(तरल) न केवल फसल उत्पादकता को बढ़ाता है बल्कि यह सामान्य यूरिया की आवश्यकता को 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है ।

यही नहीं, नैनो यूरिया(तरल) के उपयोग से उपज, बायोमास, मृदा स्वास्थ्य और उपज की पोषण गुणवत्ता में भी सुधार होता है ।

इफको नैनो यूरिया सतत कृषि और खाद्य प्रणाली को बढ़ावा देने के प्रयोजन से सटीक और सुव्यवस्थित कृषि की दिशा में उठाया गया एक सार्थक कदम है । इसमें पूरी दुनिया में कृषि क्रांति लाने की क्षमता है।

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