जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए कृषि सहकारी संस्था नेफेड ने राज्य में बड़े पैमाने पर विकासात्मक गतिविधियों का शुभारंभ किया है।
संस्था ने निवेश के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ाने के लिए अधिकाधिक समशीतोष्ण फसलों के पौधों का रोपण और प्रत्येक जिले में फसल विशिष्ट एफपीओ बनाने की योजना बनाई है।
भारतीय सहकारिता के साथ बातचीत में नेफेड के एमडी संजीव चड्ढा ने दावा किया कि इस ऐतिहासिक पहल से लगभग 10 से 15 लाख परिवारों को लाभ होने की संभावना है और जम्मू-कश्मीर के लोगों के जीवन में समृद्धि और विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नेफेड ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के साथ जनवरी में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये थे। इस एमओयू के तहत दो चरणों में 5500 हेक्टेयर भूमि पर उच्च सघन पौधारोपण किया जाएगा और 500 करोड़ की राशि से कठुआ, उत्तरी कश्मीर और दक्षिण कश्मीर में कुल तीन कोल्ड स्टोरेज बनाए जाएंगे जिसकी लागत 500 करोड़ रुपये होगी, नेफेड की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।
इसके तहत एक छोर से दूसरे छोर तक बुनियादी ढांचा तैयार करने की योजना बनाई गई है, जिसमें प्री-कंडीशनिंग, नियंत्रित वातावरण सीए भंडारण, प्याज भंडारण, प्रसंस्करण सुविधाएं, पकाने वाले कक्ष, प्रशीतित परिवहन, शुष्क भंडारण और ग्रेडिंग सुविधाएं शामिल होंगी।
देश में कृषि उत्पाद के लिए सहकारिता मार्केटिंग के प्रमुख संगठन नेशनल एग्रीकल्चर कोआपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नेफेड) जम्मू-कश्मीर में अगले पांच सालों में सेब, अखरोट, चेरी और अन्य बागवानी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए 17 सौ करोड़ रुपये निवेश करेगा।
इस समझौता ज्ञापन के तहत बनाए गए बुनियादी ढांचे से घाटी में सेब की उत्पादकता में चार गुना वृद्धि और फसल के बाद के नुकसान को 50% तक कम करने की उम्मीद है, जिससे न केवल किसानों की आय में बढ़ेगी बल्कि अंतिम उपभोक्ता तक गुणवत्तापूर्ण उपज भी उपलब्ध होगी।
“वर्तमान में भारत सेब उत्पादन में विश्व में आठवें स्थान पर है। नेफेड के एमडी संजीव चड्ढा ने एक विशेष साक्षात्कार में दावा किया कि उत्पादन और ढांचागत विकास से घाटी से सेब के निर्यात की संभावनाओं में सुधार होगा, साथ ही युवाओं के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
प्रस्तावित मूल्य श्रृंखला में उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण के लिए उच्च तकनीक वाली नर्सरी के विकास के लिए अच्छी रोपण सामग्री और रूट स्टॉक/ग्राफ्ट का आयात; गुणवत्तायुक्त रोपण सामग्री के परीक्षण के लिए नवीनतम प्रोटोकॉल के अनुसार वायरस इंडेक्सिंग लैब (क्यूपीएम) की स्थापना; सेब, अखरोट, चेरी, जैतून, लीची, आदि फलों की फसलों की ब्रांडिंग और विपणन; देश भर के विभिन्न मेट्रो शहरों में प्रीमियम/विशिष्ट उत्पादों की जीआई टैगिंग और विदेशी और गैर-मौसमी सब्जियों और फूलों के लिए बाजार लिंकेज का निर्माण, आदि शामिल हैं।
एफपीओ के निर्माण के लिए राष्ट्रीय कार्यान्वयन एजेंसियों में से एक होने के नाते नेफेड राज्य के सभी जिलों में एफपीओएस भी बनाएगा। फिलहाल चुनी हुई परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक काम शुरू कर दिया गया है।
इसके लिए 5 (पांच) निजी एजेंसियों का पैनल बनाने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जो सेब के उच्च घनत्व वृक्षारोपण (एचडीपी) के लिए बौने रूट स्टॉक का आयात और संगरोध रोपण सामग्री की आपूर्ति का प्रबंध करेगी।
ये एजेंसियां एचडीपी रोपण का विकल्प चुनने वाले किसानों को ड्रिप इरिगेशन और एंटी-हेल नेट (ओलारोधी जाल) की भी आपूर्ति करेंगी। किसानों से आवेदन मांगने के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाया गया है। निजी क्षेत्र के सहयोग से चार हाईटेक नर्सरी स्थापित करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने 3 जगहों, अर्थात् सांबा (जम्मू क्षेत्र), कुपवाड़ा (उत्तर कश्मीर) और हरिपरी ग्राम (दक्षिण कश्मीर) में फसल कटाई के बाद और प्रसंस्करण केंद्र स्थापित करने के लिए नेफेड को भूमि आबंटित की है। ये हब भी नेफेड द्वारा निजी क्षेत्र के सहयोग से बनाए जाएंगे। विभिन्न मोर्चों पर विभिन्न अन्य पहलों पर काम जारी है।