महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक ने किसानों को सीधे पैक्स के माध्यम से ऋण देने की योजना बनाई है।
बता दें कि वित्तीय स्थिति कमजोर होने के कारण महाराष्ट्र के कुछ जिला केंद्रीय सहकारी बैंक किसानों को फसल ऋण देने में सक्षम नहीं है। अतः एमएससी बैंक ने इस नई योजना के माध्यम से प्राथमिक कृषि समितियों से जुड़े किसानों को सीधे ऋण प्रदान करने का निर्णय लिया है।
“भारतीयसहकारिता” से बातचीत करते हुए अनास्कर ने कहा, “संबंधित अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर कई दौर की बातचीत हो चुकी है और योजना को अंतिम रूप जल्द ही दिया जाएगा”। मैंने इस संबंध में केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से भी बात की है और उन्होंने मुझे 18 अगस्त के बाद नाबार्ड के अध्यक्ष के साथ बैठक आयोजित करने का आश्वासन दिया है”।
उन्होंने आगे कहा, “राज्य में कुछ जिला केंद्रीय सहकारी बैंक आर्थिक रूप से कमजोर हैं और इसके चलते वह प्राथमिक कृषि समितियों के माध्यम से किसानों को फसल ऋण प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं। ये डीसीसीबी नाबार्ड से पुनर्वित्त प्राप्त करने के भी पात्र नहीं हैं”।
अनास्कर ने आगे बताया, “किसानों की समस्याओं को देखते हुए, एमएससी बैंक ने पात्र प्राथमिक कृषि समितियों के माध्यम से किसानों को सीधे ऋण प्रदान करने के लिए एक अनूठी योजना तैयार की है और इसे अनुमोदन के लिए नाबार्ड को प्रस्तुत किया गया है।”
उन्होंने कहा, “संबंधित डीसीसी बैंकों द्वारा ऋणों की निगरानी की जाएगी। ये बैंक इन खातों के प्रबंधन और फसल ऋण की वसूली के लिए एमएससी बैंक की सहायता भी करेंगे। वसूली का एक प्रतिशत इन डीसीसी बैंकों को सेवा शुल्क के रूप में भुगतान किया जाएगा। यह देश में अपनी तरह की पहली योजना है”, उन्होंने कहा।
राज्य के 31 डीसीसीबी में से पांच की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है और उनका एनपीए 70 प्रतिशत से अधिक है। बताया गया है कि बीड, नागपुर, उस्मानाबाद, बुलडाना, वर्धा सहित छह डीसीसीबी के एनपीए चिंताजनक हैं।
राज्य में 21 हजार पैक्स हैं और औसतन 900 किसान प्रत्येक पैक्स से जुड़े हुए हैं।