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सहकारिता की अहम भूमिका: लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने कहा

लाल किले की प्राचीर से 8वीं बार देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सहकारवाद, जिसमें जनता-जनार्दन की सामूहिक शक्ति अर्थव्‍यवस्‍था की चालक शक्ति के रूप में ड्राइविंग फोर्स बने, ये देश के निचले स्तर की अर्थव्यव्स्था के लिए एक अहम क्षेत्र है।

“अर्थजगत में पूंजीवाद और समाजवाद की चर्चा तो बहुत होती है, लेकिन भारत सहकारवाद पर भी बल देता है। सहकारवाद, हमारी परम्‍परा, हमारे संस्‍कारों के भी अनुकूल है”, प्रधानमंत्री ने कहा।

उन्होंने आगे कहा, को-ऑपरेटिव , सिर्फ कानून-नियमों के जंजाल वाली एक व्‍यवस्‍था नहीं है, बल्कि यह एक भावना है। को-ऑपरेटिव एक संस्‍कार है, को-ऑपरेटिव एक सामूहिक चलने की मन:प्रवृत्ति है।

सहकारिता केवल कानूनों और नियमों के नेटवर्क के साथ एक प्रणाली ही नहीं, बल्कि सहकारिता एक संस्कृति और सामूहिक विकास की मानसिकता है। उनका सशक्तिकरण हो, इसके लिए हमने अलग मंत्रालय बनाकर इस दिशा में कदम उठाए हैं और राज्‍यों के अंदर जो सहकारी क्षेत्र है, उसको जितना ज्‍यादा हो सके, बल देने के लिए हमने ये कदम उठाया है, मोदी ने कहा।

पीएम के भाषण का एक बड़ा हिस्सा खेतों और किसानों को समर्पित था। इस दशक में हमें गांवों में नई अर्थव्‍यवस्‍था के‍ निर्माण के लिए पूरी शक्ति लगानी होगी। आज हम अपने गांवों को तेजी से परिवर्तित होते देख रहे हैं। बीते कुछ वर्ष, गांवों तक सड़क और बिजली की सुविधाओं को पहुंचाने के रहे।

मोदी ने कहा कि कोरोना के दौरान देश ने टेक्नोलॉजी की ताकत, हमारे वैज्ञानिकों के सामर्थ्‍य और उनकी प्रतिबद्धता को देखा है। देश के हर क्षेत्र में हमारे देश के वैज्ञानिक बहुत सूझ-बूझ से काम कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम अपने कृषि क्षेत्र में भी वैज्ञानिकों की क्षमताओं और उनके सुझावों को हमारे एग्रीकल्‍चर सेक्‍टर में जोड़ें।

अगर हम देखें  तो 100 में से 80 किसान के पास दो हेक्‍टयर से भी कम जमीन है यानी देश का किसान एक प्रकार से छोटा किसान है। पहले जो देश में नीतियां बनीं उनमें इन छोटे किसानों को जितनी प्राथमिकता देनी चाहिए थी, उन पर जितना ध्‍यान केंद्रित करना चाहिए था वो रह गया। अब देश में इन्‍हीं छोटे किसानों को ध्‍यान में रखते हुए कृषि सुधार किए जा रहे हैं, निर्णय लिए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, छोटे किसानों के छोटे-छोटे खर्च को ध्‍यान में रखते हुए पीएम किसान सम्‍मान निधि योजना चलाई जा रही है। अब-तक डेढ़ लाख करोड़ से ज्‍यादा की रकम सीधे दस करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खातों में जमा करा दी गई है। छोटा किसान अब हमारे लिए हमारा मंत्र है, हमारा संकल्‍प है।

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