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फिशकोफेड चुनाव: न्यायालय ने आर्बिट्रेटर के आदेश पर लगाई रोक

दिल्ली हाई कोर्ट ने सोल आर्बिट्रेटर के अवॉर्ड पर रोक लगा दी है। इस मामले पर आगली सुनवाई 26 अक्टूबर 2021 को होगी।  कोर्ट ने आर्बिट्रेटर के अवार्ड पर तब तक रोक लगा दी है।

पाठकों को याद होगा कि जुलाई में सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार ने सोल आर्बिट्रेटर सुनील कुमार सिंह को नियुक्त किया था, जिन्होंने इस साल फरवरी में हुई फिशकोफेड के चुनाव को रद्द कर दिया था और कहा था कि चुनाव एमएससीएस एक्ट के प्रावधानों के खिलाफ हुआ था।

दिल्ली हाई कोर्ट ने कर्नाटक से फिशकोफेड के पूर्व निदेशकों में से एक एस मेडेगौड़ा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया, जिसमें अर्बिट्रेटर के फैसले को चुनौती दी गई थी।

उक्त मामले पर 16 अगस्त 2021 को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने कहा, “चूंकि इस न्यायालय द्वारा नव निर्वाचित निदेशक मंडल के चुनाव (जिसे आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के समक्ष चुनौती दी गयी थी) के बाद यथास्थिति का आदेश पारित किया गया था, उन्हें इस याचिका के प्रयोजनों के लिए फिशकॉपफेड के निदेशक मंडल के सदस्य के रूप में माना जाएगा। याचिकाकर्ता को अलग-अलग व्यक्तियों के नाम और पार्टियों का एक संशोधित ज्ञापन दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है”।

“याचिकाकर्ता यह भी सुनिश्चित करेगा कि सभी व्यक्ति जो फिशकोपफेड के निदेशक होने का दावा करते हैं और जिन्होंने आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के समक्ष चुनाव को चुनौती दी थी, उन्हें वर्तमान याचिका में पार्टियों के रूप में रखा जाएगा, भले ही उन्हें आर्बिटल ट्रिब्यूनल के सामने जैसे भी रखा गया हो”, आदेश में मुताबिक।

आदेश में आगे लिखा गया, इस बीच, ऊपर बताए गए कारणों से, चुनौती दिए गए अवार्ड को सुनवाई की अगली तारीख, जो 26 अक्टूबर 2021 को होगी, तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।”

इस बीच मामले में प्रतिवादी राम दास संधे और उनकी टीम का तर्क है कि अदालत ने अपने फैसले में नवनिर्वाचित बोर्ड को अभी तक फिशकोफेड का नियंत्रण लेने की अनुमति नहीं दी है।

बहु-राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2002 के अध्याय नौ-धारा 84(3) का हवाला देते हुए, संधे के करीबी सहयोगियों में से एक ने कहा, “यदि प्रश्न उठता है कि क्या इस खंड के अंतर्गत मध्यस्थता के लिए भेजा गया एक अवॉर्ड एक बहु-राज्य सहकारी समिति के गठन, प्रबंधन या व्यवसाय को स्पर्श करने वाला विवाद है या नहीं, उस पर मध्यस्थ का निर्णय अंतिम होगा और उसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जाएगी”, उन्होंने कहा।

उल्लेखनीय है कि मत्स्य पालन मंत्रालय और एनसीडीसी की फिशकोफेड में 89 प्रतिशत हिस्सेदारी है। फिशकोफेड बोर्ड के सदस्यों के बीच आंतरिक संघर्ष से संस्था को हानि हो रही है और कर्मचारियों को पिछले कुछ महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है।

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