वित्त वर्ष 2020-21 में कृषि सहकारी संस्था नेफेड ने 494.28 करोड़ रुपये का कर पूर्व लाभ कमाया है। इसके अलावा संस्था का कारोबार 16,280.98 करोड़ रुपये से बढ़कर 35,185.11 करोड़ रुपये हो गया है, संस्था की ओर से प्राप्त वित्तीय आंकड़े के मुताबिक।
वर्ष 2019-20 में नेफेड का अंकेक्षित लाभ 289.09 रुपये था, जिसका अर्थ है कि इस वर्ष उसका लाभ लगभग दोगुना हो गया है।
इसके अलावा, नेफेड का खरीद रिकॉर्ड भी पिछले साल की तुलना में दो गुना बढ़ गया है। कृषि सहकारी संस्था ने चालू वित्त वर्ष में 32,527.40 रुपये की खरीद की है जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में यह आंकड़ा 18,612.92 रुपये था।
इस उपलब्धि के लिए नेफेड के चेयरमैन बिजेंद्र सिंह ने संस्था के एमडी संजीव चड्ढा और उनकी टीम को बधाई देते हुए कहा कि यह हमारे कर्मचारियों के अथक प्रयासों से संभव हुआ है। उन्होंने बोर्ड के सदस्यों के भी सहयोग के लिए धन्यवाद दिया है।
पाठकों को याद होगा कि नेफेड बोर्ड में देश के सहकारी आंदोलन से जुड़े दिग्गज सहकारी सदस्य हैं। एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी और कृभको के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह के अलावा, पूर्व कृषि राज्य मंत्री मोहनभाई कुंदरिया भी इसके बोर्ड में हैं।
सिंह ने बताया कि हमने अपने शेयरधारकों को 12% लाभांश देने का फैसला किया है। उन्होंने कृषि सहकारी को पुनर्जीवित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी धन्यवाद दिया।
खरीद के सामान्य काम के अलावा, नेफेड जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के सरकार के प्रयासों में योगदान दे रहा है। यह सेब ऑर्किड को पुनर्जीवित कर रहा है और प्रत्येक जिले में फसल विशिष्ट एफपीओ के गठन में जुटा है।
इसके अलावा, नेफेड ने ग्लोबल टाइगर फोरम के साथ एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य उन क्षेत्रों में एफपीओ विकसित करना है, जहाँ मनुष्य और जानवर में अक्सर संघर्ष होता है। इसका लक्ष्य वन्यजीव पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण, जंगलों में वन्यजीव के आस-पास रहने वाले लोगों के जीवन और संपत्ति की रक्षा करना है।
हाल ही में खाद्य और सार्वजनिक वितरण सचिव, सुधांशु पांडे ने आयातित खाद्य तेल पर देश की खपत निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से नेफेड के फोर्टिफाइड राइस ब्रान ऑयल को ई-लॉन्च किया।