हैदराबाद में ‘मैनेज’ और नेशनल बी बोर्ड (एनबीबी) ने पिछले सप्ताह एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें कृषि सहकारी संस्था नेफेड और एनसीडीसी के अधिकारियों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का विषय ‘दक्षिणी क्षेत्र में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा’ था।
इसमें 350 से अधिक हितधारक ने भाग लिया जिनमें भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (एनबीएचएम), नेशनल बी बोर्ड (एनबीबी), एनसीडीसी, सहकारी बैंक, राज्य कृषि/ बागवानी विभागों के निदेशक/ आयुक्त, कृषि स्टार्टअप और एसीएबीसी योजना के तहत राष्ट्रीय प्रशिक्षण संस्थानों ने भौतिक एवं ऑनलाइन दोनों माध्यमों से भाग लिया।
मैनेज के महानिदेशक डॉ. पी. चंद्र शेखर ने अपने स्वागत भाषण में किसानों की आय को दोगुना करने और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को सुनिश्चित करने में मधुमक्खियों और मधुमक्खी पालन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मधुमक्खी पालन, प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी और विपणन पर विस्तार सेवाएं प्रदान करने और किसानों, कृषि उद्यमियों एवं कृषि स्टार्टअप में क्षमता निर्माण करने की बेहद आवश्यकता है।
मुख्य अतिथि भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव डॉ. अभिलाक्ष लिखी (आईएएस) ने परागण के माध्यम से फसल उत्पादकता को बढ़ावा देने और देश में स्थायी कृषि सुनिश्चित करने के लिए मधुमक्खी पालन/ मधुमक्खी को कृषि में एक इनपुट के तौर पर देखने की आवश्यकता पर बल दिया।
लेखी ने मूल्य श्रृंखला में छोटे एवं सीमांत किसानों और अन्य हितधारकों की मदद के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा स्थापित मधु क्रांति पोर्टल पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देश में मधुमक्खी पालन और शहद मिशन में तेजी लाने के लिए एफपीओ, समितियों और सहकारी समितियों को बढ़ावा देने की जरूरत है।
भारत सरकार के कृषि एवं बागवानी आयुक्त डॉ. एस. के. मल्होत्रा ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (एनबीएचएम) पर गौर किया। उन्होंने कृषि अनुसंधान, कृषि विश्वविद्यालयों, राज्य सरकारों, कृषि उद्यमियों और किसानों से मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन को लागू करने के लिए ठोस प्रयास करने का आग्रह किया। उन्होंने देश में कृषि में परागण सेवाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देश में इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न भागीदारों और मूल्यवर्द्धन, प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों एवं प्रशिक्षण की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
अतिरिक्त आयुक्त (बागवानी) एवं नेशनल बी बोर्ड (एनबीबी) के कार्यकारी निदेशक डॉ. एन. के. पाटले ने कहा कि मधुमक्खी पालन और मधुमक्खियों से न केवल किसानों को आय उपलब्ध होगी बल्कि पर्यावरण के अनुकूल तरीके से परागण के जरिये फसलों की उत्पादकता में भी वृद्धि होगी।
तकनीकी सत्रों के दौरान नेफेड के महाप्रबंधक डॉ उन्नीकृष्णन ने मधुमक्खी पालन के लिए नेफेड की रणनीति के बारे में बताया।