भारतीय सहकारी समितियों नें एक बार फिर साबित कर दिया है कि मुसीबत के समय सरकार उनपर भरोसा कर सकती है. प्याज के मौजूदा संकट पर नाफेड और एनसीसीएफ ने प्रभावी ढंग से ध्यान दिया.
दोनों सहकारी संगठन प्याज की चढती कीमत को रोकने के लिए सरकार के साथ कंधे से कंधे मिलाकर खडे हो गए.
प्याज की आसमान छूती कीमतों ने, जो कि 60-70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई थीं, केन्द्र सरकार को 15 जनवरी तक निर्यात को निलंबित करने के लिए मजबूर कर दिया. एक सरकारी बयान में कहा गया कि कृषि सहकारी प्रमुख नेफेड और राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी महासंघ (एनसीसीएफ) मंगलवार से अपनी खुदरा दुकानों के माध्यम से 35 रुपये से 40 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज बेचेंगे .
नैफेड और एनसीसीएफ ने विभिन्न स्टालों के माध्यम से सरकारी दर से प्याज बेचना शुरू कर दिया. तनावपूर्ण क्षण को देखते हुए एनसीसीएफ के अध्यक्ष बीरेंद्र सिंह ने भारतीयसहकारिता.कॉम से कहा,- “उपभोक्ताओं को उचित दर पर प्याज उपलब्ध करने की कोशिश करने में हमारी रातों की नींद हराम हो गई.”
सीमा शुल्क विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अमृतसर में कहा की पाकिस्तान से प्याज से लदे तेरह ट्रक पहुंचे हैं जिनमें से प्रत्येक में पांच से पन्द्रह टन प्याज हैं.” पांच भारतीय आयातकों ने लुधियाना, अमृतसर, जालंधर और दिल्ली के बाजारों में आपूर्ति के लिए लाहौर से प्याज मंगवाये”, अधिकारी ने कहा.
बाजारों में प्याज की कमी को महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिणी राज्यों से फसल की कम आपूर्ति के कारण होना बताया जा रहा है.
हालांकि, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा के अनुसार प्याज की कोई बड़ी कमी नहीं है बल्की यह मूल्य वृद्धि “जमाखोरी” के कारण है.
उन्होंने कहा कि देश में प्याज का पर्याप्त स्टॉक है. मंत्रालय के अधिकारियों ने भी सट्टेबाजों पर आरोप लगाने में उनका साथ दिया. उनके लिए, “थोक उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश के कारण फसल को 15-20 प्रतिशत से अधिक का नुकसान नहीं हुआ है. “