केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने मंगलवार को हरियाणा के गुरुग्राम में देश के अपनी तरह के पहले, समर्पित बिजनेस इनक्यूबेटर का उद्घाटन किया, जिसे लिनाक – एनसीडीसी फिशरीज बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर (लिफिक) के रूप में जाना जाएगा।
इसके अंतर्गत वास्तविक बाजार के नेतृत्व वाली परिस्थितियों में मत्स्य पालन स्टार्ट-अप को पोषित करने हेतु 3.23 करोड़ रुपये की लागत है।
अपने संबोधन में रूपाला ने कहा कि, यह केंद्र मत्स्य पालन के लिए भविष्य में एक ‘मील का पत्थर’ के रूप में काम करेगा, जो कि माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले वर्ष शुरू की गई प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (पी.एम.एम.एस.वाई.) के तहत एक बड़ा कदम है। इन्क्युबेटर इकाई प्रशिक्षण, उद्यमशीलता के विचारों को व्यवसाय मॉडल में परिवर्तित करने और नए के साथ-साथ मौजूदा व्यापार उद्यमियों को इस सेगमेंट में बड़ा बनाने के लिए धन प्रदान करेगी।
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी), लिफिक के लिए एक कार्यान्वयन एजेंसी, ने चार राज्यों- बिहार, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से दस इनक्यूबेट के पहले बैच को चिन्हित किया है। इनमें से 6 नव-निर्मित मछली उत्पादक संगठनों से हैं, जिन्हें पी.एम.एम.एस.वाई. के तहत वित्तीय अनुदान का सहयोग प्राप्त है, एनसीडीसी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।
“डेयरी क्षेत्र की तरह सहकारिता ने अभी तक मत्स्य पालन के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है । इसीलिए एक अलग सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई है ताकि मत्स्य पालन सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहकारी समितियों को बढ़ावा मिले और प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण को प्राप्त करने में मदद मिले।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी साझा किया कि साथ ही, इस दिशा में, हम जल्द ही किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के आधार पर मछुआरों और पशुधन व्यवसाय से जुड़े लोगों को भी क्रेडिट कार्ड प्रदान करने के लिए एक अभियान शुरू करेंगे ।”
डॉ एल मुरुगन, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री ने कहा कि केंद्र यह सुनिश्चित करेगा कि मत्स्य पालन क्षेत्र सामान्य रूप से केवल व्यवसाय न करें बल्कि हितधारकों की आय को बढ़ाने में मदद करें । उन्होंने समिति के सर्वांगीण विकास के लिए प्रधान मंत्री के मार्गदर्शन में मत्स्य पालन इनक्यूबेशन केंद्र की स्थापना सहित पहली बार उठाए गए विभिन्न नवीन कदमों को सूचीबद्ध किया।
“मत्स्य पालन भारत में उन्नति करने वाला उद्योग है, जो वार्षिक रूप से 7 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है । माननीय प्रधान मंत्री ने वर्ष 2025 तक 22 मिलियन टन मछली उत्पादन और एक लाख करोड़ रुपये के निर्यात का लक्ष्य रखा है । यह अगले चार वर्षों के भीतर हासिल करने के लिए एक बहुत लंबा लक्ष्य है, क्योंकि वर्तमान में मछली उत्पादन 130 लाख टन और निर्यात 46,000 करोड़ रुपये है ।
जतिंद्र नाथ स्वैन, केंद्रीय मत्स्य सचिव ने कहा कि “भारत में मत्स्य पालन के लिए इस पहले व्यवसायिक इनक्यूबेशन केंद्र की स्थापना इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक कदम है । हमें स्टार्टअप्स के लिए बहुत सारे इनोवेशन को बढ़ावा देने, प्रोत्साहन देने और लक्ष्य हासिल करने के लिए मात्स्यिकी क्षेत्र में सहकारिताओं को प्रोत्साहित करने पर काम करने की जरूरत है ।”
मत्स्य पालन क्षेत्र में कुल मिलाकर लगभग 30,000 सहकारिताएँ हैं ।
एनसीडीसी के एमडी संदीप नायक ने लॉन्च किए गए नए केंद्र के बारे में कहा, “यह एक विशुद्ध रूप से व्यावसायिक केंद्र है और न केवल एक प्रौद्योगिकी केंद्र या एकसीलरेटर है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह अनूठी पहल मुख्य रूप से उद्यमशीलता के विचारों को व्यावसायिक मॉडल में परिवर्तित करने पर केंद्रित होगी और फिर व्यवसाय संचालन की शुरुआत में सहयोग करेगी। लिफिक इस क्षेत्र में स्थायी राजस्व सृजन और व्यवसाय संचालन के उद्देश्य से बाजार की गतिशीलता के असंख्य पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए उद्यमों को भी सहयोग प्रदान करेगा।
एक महत्वपूर्ण इनपुट, क्रेडिट लिंकेज, सफल इन्क्यूबेटरों को प्रदान किया जा सकता है जो एनसीडीसी से वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
इस अवसर पर रूपाला ने लिनाक परिसर में सरदार पटेल सभागार का भी उद्घाटन किया।
कार्यक्रम के अवसर पर पूर्व केंद्रीय मत्स्य सचिव डॉ राजीव रंजन, एरोमा मैजिक अध्यक्ष ब्लॉसम कोचर, एनएफडीबी के मुख्य कार्यकारी डॉ सी सुवर्णा, नेडैक बैंकॉक के निदेशक डॉ के.आर. सालिन और सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश वैद्य उपस्थित थे।