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को-ऑप्स नहीं जोड़ सकती है अपने नाम के साथ बैंक: आरबीआई की चेतावनी

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम, 1949) को बैंककारी विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 (2020 का अधिनियम 39) द्वारा संशोधित किया गया था, जो 29 सितंबर 2020 को लागू हुआ। तदनुसार, सहकारी समितियां बीआर अधिनियम, 1949 के प्रावधानों के तहत या भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा दी गई अनुमति के अलावा उनके नामों में “बैंक”, “बैंकर” या “बैंकिंग” शब्दों का उपयोग नहीं कर सकती हैं।

आरबीआई के संज्ञान में यह आया है कि कुछ सहकारी समितियां बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) (बीआर अधिनियम, 1949) की धारा 7 का उल्लंघन करते हुए अपने नामों में “बैंक” शब्द का प्रयोग कर रही हैं।

आरबीआई के संज्ञान में यह भी आया है कि कुछ सहकारी समितियां गैर-सदस्यों/नाममात्र के सदस्यों/सहयोगी सदस्यों से जमा स्वीकार कर रही हैं जो बीआर अधिनियम, 1949 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए बैंकिंग कारोबार करने के समान है, भारतीय रिजर्व बैंक ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कहा।

जनता को एतद्द्वारा सूचित किया जाता है कि ऐसी समितियों को न तो बीआर अधिनियम, 1949 के तहत कोई लाइसेंस जारी किया गया है और न ही वे बैंकिंग कारोबार करने के लिए आरबीआई द्वारा अधिकृत हैं। निक्षेप बीमा एवं प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) की बीमा सुरक्षा भी इन समितियों में रखी गई जमा राशि के लिए उपलब्ध नहीं है।

जनता को सूचित किया जाता है कि वे ऐसी सहकारी समितियों, जो बैंक होने का दावा करते हैं, से सतर्क रहें एवं उचित सावधानी बरतें तथा उनके साथ कोई भी लेन-देन करने से पहले आरबीआई द्वारा जारी बैंकिंग लाइसेंस देखें।

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