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शाह ने इरमा स्नातकों से गरीबी मिटाने का किया आह्वान

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हाल ही में अपने गुजरात दौरे के दौरान इंस्टीट्यूट ऑफ़ रूरल मैनेजमेंट, आणंद (इरमा) के 41वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।

शाह ने दीक्षित छात्रों को डिग्री वितरित कर उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ दीं और कहा कि मुझे विश्वास है कि यहाँ से जाने के बाद आप चाहे किसी भी क्षेत्र में काम करें लेकिन ग्रामीण विकास के विचार और संकल्प के प्रति आप सदैव समर्पित रहेंगे।

इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री ने कहा कि यहां से डिग्री लेकर जाने वाले ये छात्र गांधी जी का स्वप्न साकार करने के लिए काम करने वाले हैं। इस देश के ग्रामीण विकास को गति देना, देश के अर्थतंत्र में ग्रामीण विकास को कंट्रीब्यूटर बनाना और ग्रामीण विकास के माध्यम से गांव में रहने वाले हर व्यक्ति को समृद्धि की ओर ले जाना, ये किए बिना देश कभी आत्मनिर्भर नहीं हो सकता है।

शाह ने कहा कि ग्रामीण विकास थ्योरेटिकल नहीं होता है, ये तभी होता है जब इसके प्रति समर्पित लोग चंदन की भांति स्वंय को घिसकर सुगंध को गांव-गांव तक पहुंचाते हैं।

उन्होंने कहा कि अगर आधुनिक ज़माने में ग्रामीण विकास करना है तो इसके लिए पाठ्यक्रम बनाने होंगे, इसे फ़ॉर्मलाइज़ करना होगा और आज के ज़माने की ज़रूरतों के हिसाब से ग्रामीण विकास को परिवर्तित करके ज़मीन पर उतारना होगा। मैं मानता हूं कि सरदार पटेल, त्रिभुवनभाई की इस पवित्र भूमि पर इरमा ने इसे ज़मीन पर उतारने का काम किया है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज 251 युवा यहां से डिग्री लेकर जाएंगे। उन्होंने कहा जो व्यक्ति ‘स्व’ से ‘पर’ की ओर जाता है और ख़ुद की जगह दूसरे की सोचता है वो ही ज्ञानी है। आज आप लोग यहां से शिक्षित होकर जा रहे हैं, लेकिन अपने साथ-साथ उनका भी विचार करिएगा जिनके लिए अच्छा जीवन, शिक्षा, दो वक़्त की रोटी एक स्वप्न है।

उन्होंने कहा कि जब आप ऐसा विचार करेंगे तो आत्मसंतोष का अनुभव होगा। करोड़ों रूपए कमाने पर भी आपको संतोष प्राप्त नहीं होगा लेकिन अपने जीवन में एक व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने के बाद आपको आत्मसंतोष प्राप्त होगा। मुक्ति तभी मिलती है जब जीवन में संतोष होता है और संतोष दूसरों के लिए काम करने से ही मिलता है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने डॉ. वर्गीज़ कुरियन को याद करते हुए कहा कि उन्होंने ग्रामीण लोगों में टिकाऊ, परिस्थिति के अनुरूप, अनुकूल और न्यायसंगत सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए इस संस्थान की स्थापना की और यह उद्देश्य हमेशा आपकी नजर के सामने रहना चाहिए। जीवन में जहां से कुछ प्राप्त करते हैं उसको वापस देने का भी जीवन में लक्ष्य रखना चाहिए।

 

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