केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि नाबार्ड को रूरल क्रेडिट की सही तरह से मॉनिटरिंग करनी चाहिए। उन्होंने यह बात दिल्ली के एनसीयूआई सभागार में आयोजित एक सहकारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि नाबार्ड की स्थापना रूरल क्रेडिट के माध्यम से ग्रामीण भारत को मजबूत बनाने के मूल उद्देश्य से हुई थी लेकिन हम अपने लक्ष्य से भटक गए हैं।
“25 साल पहले हमारे यहां लॉन्ग टर्म फाइनेंस एग्रीकल्चर फाइनेंस का 50% था और 25 साल बाद यह हिस्सा घटकर 25% हो गया है, हमें इसकी चिंता करनी चाहिए। असम, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उड़ीसा में पूरा हमारा ढांचा चरमरा गया है। वर्तमान में सिर्फ 13 राज्यों में कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अपेक्षाकृत दृष्टि से चल रहे हैं और यह सरकार की अपेक्षा के हिसाब से चल रहे हैं”, शाह ने कहा।
शाह ने निष्कर्ष निकालते हुये कहा कि नाबार्ड को इस दिशा में एक्सटेंशन और एक्सपेंशन का एक विंग बनाना चाहिए ताकि देश में जिन किसानों को मध्यकालीन और लॉन्ग टर्म फाइनेंस चाहिए उन्हें आसानी से मिल सके।
इस मौके पर नाबार्ड के अध्यक्ष जी आर चिंताला भी उपस्थित थे।