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नेफकॉब एजीएम में डेलीगेट्स ने उठाए कई ज्वलंत मुद्दे

देश भर के विभिन्न राज्यों से आए सहकारी बैंकों के प्रतिनिधियों ने नेफकॉब की 46वीं वार्षिक आम बैठक के दौरान सहकारिता क्षेत्र से संबंधित कई मुद्दों को उठाया।

इन मुद्दों में रियल एस्टेट एक्सपोजर की सीमा बढ़ाना, ऋण की वसूली के लिए एक विशेषज्ञ टीम का गठन करना, अनसिक्योर्ड लोन अवधि में बढ़ोतरी करना, समेत कई अन्य शामिल थे।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, कर्नाटक के जनता सहकारी बैंक के निदेशक, लक्ष्मी नारायणन ने कहा, “पीएमसी बैंक प्रकरण के कारण हमारे बैंक को नुकसान झेलना पड़ रहा है क्योंकि हमने पीएमसी बैंक में 42 करोड़ रुपये का निवेश किया था। हालांकि वर्तमान में इसका विलय यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक में कर दिया गया है, लेकिन हमें अभी तक अपना पैसा वापस नहीं मिला है। हम इस संबंध में नेफकॉब प्रबंधन से समर्थन की मांग करते हैं।

“हमारे बैंक का कारोबार 1400 करोड़ रुपये से अधिक का है लेकिन फिर भी हमारे बैंक का कुल घाटा 16 करोड़ रुपये है। हमें पीएमसी बैंक में किए गए निवेश पर लाभ से प्रावधान करना होता है और आरबीआई बैंकों को पांच साल के लिए प्रावधान करने की अनुमति देता है लेकिन इसे बढ़ाकर 10 साल किया जाना चाहिए, ताकि हम पीएमसी बैंक में किए गए निवेश पर हर साल 4 करोड़ रुपये का प्रावधान कर सकें”, उन्होंने मांग की।

जिजाऊ कमर्शियल सहकारी बैंक के अध्यक्ष अविनाश कोठाले ने मांग की कि सरपंचों, विधायकों, सांसदों सहित सभी के लिए केवल दस साल का कार्यकाल अनिवार्य किया जाना चाहिए, क्योंकि बीआर संशोधन अधिनियम के अनुसार अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के निर्वाचित निदेशकों बोर्ड में आठ वर्षों से अधिक समय तक नहीं रह सकता है।

जामिया सहकारी बैंक के अध्यक्ष एमक्यूएच बेग ने मांग की कि भारतीय रिजर्व बैंक को सहकारी बैंकों के लिए रियल एस्टेट एक्सपोजर भी बढ़ाना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि सहकारी बैंक को चलाने में राज्यों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है और उन्हें सामान्य दिशानिर्देश जारी करने के बजाय अलग से संबोधित किया जाना चाहिए।

पुणे पीपुल्स कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष सुभाष मोहिते ने कहा कि अगर आरबीआई हमारी समस्याओं को नहीं सुन रहा है तो सभी सहकारी बैंकों को एक दिन के लिए बंद किया जाना चाहिए। आरबीआई के अधिकारी बैंकिंग के बारे में नहीं जानते हैं और उन्हें इसके सदंर्भ में ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।

काजिस बैंक के सीईओ संजय शिरगावे ने मांग की कि 1 लाख रुपये से अधिक की व्यक्तिगत महिला लाभार्थियों को प्राथमिकता वर्ग श्रेणी के रूप में माना जाना चाहिए। सहकारी बैंकों के लिए अधिकतम अनसिक्योर्ड लोन सीमा 5 लाख रुपये तक की अनुमति है। इस सीमा को बढ़ाने की जरूरत है।

चित्तौड़ अर्बन कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष ने एनपीए की वसूली के लिए नेशनल फेडरेशन या स्टेट फेडरेशन द्वारा एक विशेषज्ञ टीम के गठन का आह्वान किया।

एजीएम के अवसर पर बोलते हुए इंदौर पारास्पर सहकारी बैंक के निदेशक शेखर किबे ने कहा कि पीएमसी बैंक के संस्थागत जमाकर्ताओं को उनके जमा पर 20 प्रतिशत हर साल प्रदान करना होगा जो गलत है क्योंकि योजना का मसौदा आरबीआई द्वारा ही तैयार किया गया था।

इस मौके पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश करते हुए, नेफकॉब के उपाध्यक्ष विद्याधर अनस्कर ने भारतीय रिजर्व बैंक की तर्ज पर सहकारी बैंकों के लिए एक अलग नियामक बनाने की वकालत की।

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