नेफकॉब के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने बुधवार को दिल्ली के एनसीयूआई सभागार में आयोजित संस्था की 46वीं वार्षिक आम बैठक में सहकारी बैंकों के प्रतिनिधियों से अगले पांच वर्षों में 25 प्रतिशत की वृद्धि करने का आह्वान किया।
इस मौके पर उन्होंने बताया कि बीआर एक्ट के संशोधन में निर्वाचित डायरेक्टर के लिए 8 साल का समय सीमा कैसे शहरी सहकारी बैंकों के लिए घातक सिद्ध होगा।
“देश में लगभग 1534 अर्बन कोऑपरेटिव बैंक हैं, जिनमें सरकार ने निर्वाचन सदस्यों के लिए 8 साल की समय सीमा तय की है। साथ ही जिला सहकारी बैंकों और स्टेट को-ऑप बैंकों के निर्वाचित सदस्यों के लिए भी “8 साल का कार्यकाल” तय करने जा रहे हैं। इस प्रकार कुल 2000 सहकारी बैंकिंग संस्थाओं में लगभग 40 हजार निर्वाचित निदेशक हैं जो कई वर्षों से सहकारी क्षेत्र को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। बीआर अधिनियम में संशोधन के बाद, लगभग 32 हजार निर्वाचित निदेशकों को बाहर का रास्ता देखना पड़ेगा और यह सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के लिए एक बड़े झटका होगा, जिसे सहन कर पाने सेक्टर के लिए आसान नहीं होगा”, उन्होंने कहा।
मेहता ने आगे कहा कि, “हमने इस संदर्भ में आरबीआई, सहकारिता मंत्रालय और वित्त मंत्रालय समेत अन्य संबंधित विभागों को पत्र लिखा है। वर्तमान में हम एनसीयूआई और नेफस्कॉब सहित कई अन्य शीर्ष सहकारी निकायों की भागीदारी से एक मोर्चा भी बना रहे हैं। अगर कोई विकल्प नहीं बचेगा तो, हम इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे”, मेहता ने रेखांकित किया।
हालांकि, नेफकॉब के अध्यक्ष ने उम्मीद जाहिर की कि सहकारिता मंत्रालय इस संबंध में अपनी सक्रिय भूमिका आदाकार इसे यूसीबी के पक्ष में हल करवाएगा। सहकारिता के लिए अलग मंत्रालय बनाने और अमित शाह को इसका प्रभारी नियुक्त करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देते हुए, मेहता ने बताया कि हाल ही में आठ साल की सीमा समेत अन्य मुद्दों को हल करने के लिए मंत्रालय ने संयुक्त कार्य समूह का गठन किया है, जिसमें आरबीआई अधिकारियों के साथ-साथ सहकारिता मंत्रालय के अधिकारियों भी हैं।
मेहता ने प्रतिनिधियों की जानकारी के लिए बताया कि जब भी आरबीआई और मंत्रालय के बीच कोई बैठक होती है तो सहकारिता मंत्रालय नेफकॉब को भी सम्मिलित कर हमारी प्रतिक्रिया लेता है।
“मंत्रालय के साथ इन नियमित बातचीत से हाउसिंग लोन की सीमा में वृद्धि हुई वहीं यूसीबी को डोर-स्टेप बैंकिंग करने की अनुमति दी गई। शहरी सहकारी बैंकों को लघु और मध्यम उद्यमों आदि की गारंटी योजना के समान माना जाने लगा है”, मेहता ने रेखांकित किया। साथ ही 13 साल से जो नई ब्रांच नहीं खोली जा रही थी, उसमें भी बदलाव आ रहा है, मेहता ने कहा।
विज्ञान भवन में नेफकॉब द्वारा आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री अमित शाह के भाषण का हवाला देते हुए मेहता ने कहा कि हमें राष्ट्रीय बैंकिंग में अपना हिस्सा बढ़ाने की आवश्यकता है। आंकड़ों का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि हमारे यूसीबी की कुल जमा और अग्रिम कुल बैंकिंग हिस्सेदारी का क्रमशः केवल 3.4% और 2.8% है।
1534 शहरी सहकारी बैंकों में से 864 टियर 1 (100 करोड़ रुपये की व्यावसायिक सीमा) और 688 टीयर 2 में हैं और इनमें से 550 यूनिट बैंक हैं, जिनकी एक ही शाखा है। हमें आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है क्योंकि हमारा सकल एनपीए 11.6% है और शुद्ध एनपीए 4.6% है, जो कि कमर्शियल बैंकों की तुलना में अधिक है, जिनका सकल एनपीए 7.3% और शुद्ध एनपीए 2.4% है, नेफकॉब अध्यक्ष ने कहा।
“हम अभी तक केवल 69 लाख लोगों तक पहुंच पाए हैं। 80 से अधिक शहरी सहकारी बैंकों की वृद्धि नकारात्मक रही। आज हमे इस पर विचार विर्मश करना होगा और आगे के विकास के लिए रणनीति बनाने की जरूरत है”, मेहता ने बताया कि अमित शाह ने स्पष्ट रूप से कहा है कि समाज के समावेशी विकास के लिए केवल सहकारिता ही एक माध्यम हो सकती है। मेहता ने कहा कि शाह का सपना है कि हर शहर में एक यूसीबी हो और यह असंभव नहीं है।
इस अवसर पर बोलते हुए एच के पाटिल ने अम्ब्रेला संगठन को वास्तविकता स्वरूप देने के लिए मेहता और उनकी टीम को बधाई दी। पाटिल ने कहा, हमें अब इसे वित्तीय रूप से मजबूती देने की जरूरत है। अगली एजीएम खास होने जा रही है क्योंकि अम्ब्रेला संगठन के रूप में हमारा सपना सच होगा, उन्होंने जोड़ा।
राज्यों के कई प्रतिनिधियों ने आरबीआई के निरीक्षकों के रवैये की शिकायत की और नेफकॉब से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।
नेफकॉब के उपाध्यक्ष विद्याधर अनस्कर ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।