एक दिवसीय कार्यशाला में महिला निदेशकों को संबोधित करते हुए विद्याधर अनस्कर ने कहा कि जानकार महिला निदेशक सहकारी बैंकिंग की कार्य संस्कृति में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में अहम भूमिका निभाती है।
इस कार्यशाला का आयोजन महाराष्ट्र अर्बन को-ऑप बैंक्स फेडरेशन द्वारा मुंबई के वाशी में हाल ही में किया गया था। फेडरेशन के अध्यक्ष अनस्कर ने जोर देकर कहा कि यदि महिला पढ़ी-लिखी हैं तो वह सही ढंग से किसी सहकारी बैंक का नेतृत्व कर सकती है।
अनस्कर ने आगे कहा कि सहकारिता अधिनियम में दो सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है लेकिन निदेशक मंडल में प्रभावी योगदान देने के लिए महिलाओं को सामान्य श्रेणी से निर्वाचित किया जाए।
“महिलाओं की भागीदारी ज्ञानवर्धक होगी यदि उन्हें उपनियमों के बारे में पूरी जानकारी हो। यह सिर्फ सजावटी नहीं बल्कि वास्तविक होनी चाहिए”, अनस्कर ने इस कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कहा।
कार्यशाला के पहले तीन घंटे के सत्र में, अनस्कर ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के संदर्भ में सहकारिता के बुनियादी सिद्धांतों, वित्तीय प्रणाली में सहकारी बैंकिंग के महत्व आदि पर एक प्रस्तुति दी।
दूसरे सत्र में रिजर्व बैंक की उप महाप्रबंधक श्रीमती भाग्यलता कौशिक ने शहरी बैंकों की संरचना, उनकी विशेषताओं, टैफकब की भूमिका, बैंकिंग विनियमन अधिनियम में हालिया संशोधन, निदेशकों की भूमिका आदि के बारे में मार्गदर्शन दिया।
महाराष्ट्र अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक्स फेडरेशन लिमिटेड की मुख्य कार्यकारी और सचिव श्रीमती सायली भोइर ने इस कार्यशाला के आयोजन में अहम भूमिका निभाई थी।
इस मौके पर राज्य की 100 से अधिक महिला निदेशकों ने भाग लिया।
इस अवसर पर फेडरेशन की निदेशक श्रीमती शशिताई अहिरे, श्रीमती शोभताई सावंत और उद्यम बैंक की निदेशक श्रीमती लीनाताई अनस्कर और गणमान्य व्यक्तियों ने दीप प्रज्ज्वलित किया।