महाराष्ट्र रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसाइटी ने अपीलीय प्राधिकरण द्वारा अपील खारिज करने के बाद संकटग्रस्त रूपी को-ऑपरेटिव बैंक में डी डोईफोड को परिसमापक के रूप में नियुक्त किया है।
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने 2022 की रिट याचिका संख्या 11300 (रूपी को-ऑपरेटिव बैंक लि., पुणे बनाम दि यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य) में 22 सितंबर 2022 के आदेश के माध्यम से अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष रूपी को-ऑपरेटिव बैंक लि., पुणे द्वारा दायर अपील के समापन तक दिनांक 8 अगस्त 2022 के निरस्तीकरण आदेश को निलंबित कर दिया था।
परिणामस्वरूप, आरसीएस महाराष्ट्र ने, महाराष्ट्र सहकारी समिति अधिनियम, 1960 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, रूपी को-ऑपरेटिव बैंक लि., पुणे के कार्यों के समापन के लिए दिनांक 31 अक्तूबर 2022 के आदेश द्वारा परिसमापक नियुक्त किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, परिसमापक 300 करोड़ रुपये तक की वसूली और पुनर्भुगतान पर ध्यान केंद्रित करेगा।
पाठकों को याद होगा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने 10 अगस्त, 2022 को रूपी सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे का बैंकिंग लाइसेंस रद्द कर दिया था। लेकिन बॉम्बे उच्च न्यायालय ने आरबीआई के आदेश को अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष रूपी सहकारी बैंक लिमिटेड द्वारा दायर अपील तक रद्द कर दिया था।
रूपी बैंक में नियुक्त प्रशासक ने पूरी कोशिश की थी कि बैंक का विलय सारस्वत बैंक, या फिर कॉसमॉस को-ऑपरेटिव बैंक जैसे प्रमुख यूसीबी में हो लेकिन सभी प्रयास विफल रहे।
इसके अलावा, महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक ने भी रूपी बैंक के विलय का प्रस्ताव सौंपा था लेकिन सफल नहीं हो पाया। हालांकि डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) ने पहले ही पात्र जमाकर्ताओं को लगभग 700 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि परिसमापक का दायित्व है कि वह वसूली और परिसमापन के आधार पर डीआईसीजीसी को पैसा लौटाए।
एक सूत्र के अनुसार, वर्तमान में रूपी सहकारी बैंक की कुल देनदारी लगभग 1364 करोड़ रुपये है और बैंक के पास 924 करोड़ रुपये की वसूली योग्य संपत्ति है और बाकी 440 करोड़ रुपये जुटाना जाहिर तौर पर लिक्विडेटर के सामने बड़ी चुनौती है।