राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और बैंकर्स इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट (बीआईआरडी) ने लखनऊ में “ग्रामीण सहकारी बैंकों में गुड प्रैक्टिस” पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।
इस सम्मेलन में नाबार्ड, बर्ड और उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा, 14 राज्य सहकारी बैंकों, 61 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों और 200 से अधिक पैक्स के प्रतिनिधियों ने भाग लेिया।
अपने उद्घाटन भाषण में नाबार्ड के अध्यक्ष शाजी के.वी. ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ” सहकार से समृद्धि ” के दृष्टिकोण को साकार करने में ग्रामीण सहकारी बैंकों की भूमिका पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि कृषि क्षेत्र में ऋण प्रवाह में सहकारी बैंकों की हिस्सेदारी घटकर 11% रह गई है, जो बड़ी चिंता का विषय है। इसके अलावा, उन्होंने सहकारी बैंकों के विकास में उच्च तकनीकी, ब्रांडिंग, प्रशासन और ग्रामीण ग्राहकों में विश्वास बनाने पर जोर दिया।
अपने संबोधन में प्रमुख सचिव सहकारिता उत्तर प्रदेश सरकार बी एल मीना ने राज्य सरकार द्वारा सहकारिता क्षेत्र को मजबूत बनाने में किये जा रहे प्रयासों के बारे उल्लेख किया।
दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में कई तकनीकी सत्रों का भी आयोजन किया गया। तकनीकी सत्रों में नाबार्ड, विभिन्न राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के साथ-साथ पैक्स के सचिवों ने चर्चा में भाग लिया।
इस अवसर पर, सेंटर फॉर प्रोफेशनल एक्सीलेंस (सी-पीईसी), बर्ड द्वारा तैयार किया गया “ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए आंतरिक ऑडिट मैनुअल” भी जारी किया गया।
इस सम्मेलन में निरुपम मेहरोत्रा, निदेशक, बर्ड, जे.एस. उपाध्याय, एस. मणिकुमार, एस.के. नंदा, विवेक सिन्हा समेत अन्य लोग मौजूद थे।