भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (बीबीएसएसएल) द्वारा गुरुवार को नई दिल्ली में “सहकारी क्षेत्र में उन्नत एवं पारंपरिक बीजोत्पादन” पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए, केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पारंपरिक बीजों के संरक्षण पर जोर दिया।
बीबीएसएसएल के लोगो, वेबसाइट और ब्रोशर का अनावरण करते हुए शाह ने कहा कि आज का दिन देश के सहकारिता आंदोलन, किसानों और अन्न उत्पादन के क्षेत्र में नई शुरूआत की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में भारत में बीज संरक्षण, संवर्धन और अनुसंधान के क्षेत्र मे बीबीएसएसएल का बहुत बड़ा योगदान होगा।
इस अवसर पर विज्ञान भवन में बीज उत्पादन से जुड़ी कई सहकारी समितियों के प्रतिनिधि उपस्थित थें। केंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्मा, सहकारिता सचिव ज्ञानेश कुमार, कृषि सचिव मनोज आहूजा, बीबीएसएसएल के अध्यक्ष योगेन्द्र कुमार, इफको के एमडी डॉ. यू.एस.अवस्थी, कृभको के अध्यक्ष चंद्रपाल सिंह यादव, नेफेड के अध्यक्ष बिजेन्द्र सिंह, एनडीडीबी के अध्यक्ष मीनीश शाह, जीसीएमएमएफ के एमडी जयेन मेहता, कृभको के एमडी, इफको के संयुक्त एमडी समेत अन्य लोग मौजूद थें।
अपने संबोधन में शाह ने कहा कि देश के हर किसान को आज वैज्ञानिक रूप से बनाया और तैयार किया गया बीज उपलब्ध नहीं है, इसीलिए ये हमारी ज़िम्मेदारी है कि इस विशाल देश के हर किसान के पास प्रमाणित और वैज्ञानिक रूप से तैयार किया गया बीज पहुंचे और ये काम भी यही सहकारी समिति करेगी।
शाह ने कहा कि भारत दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों में से एक है जहां कृषि की अधिकृत शुरूआत हुई और इसी कारण हमारे परंपरागत बीज गुण और शारीरिक पोषण के लिए सबसे अधिक उपयुक्त हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के परंपरागत बीजों का संरक्षण कर उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना है, जिससे स्वास्थ्यपूर्ण अन्न, फल और सब्ज़ियों का उत्पादन निरंतर होता रहे और यह काम बीबीएसएसएल करेगी। हमारे यहां उत्पादित होने वाले बीज कमोबेश विदेशी तरीकों से आर एंड डी करके बनाए गए हैं, लेकिन हमारे कृषि वैज्ञानिकों को अगर एक अच्छा प्लेटफॉर्म मिले तो वे विश्व में सबसे अधिक उत्पादन करने वाले बीज बना सकते हैं, और इस आर एंड डी का काम भी बीबीएसएसए करेगी।
शाह ने कहा कि विश्व में बीजों के निर्यात का बहुत बड़ा मार्केट है और इसमें भारत का हिस्सा एक प्रतिशत से भी कम है, भारत जैसे विशाल और कृषि-प्रधान देश को वैश्विक बीज मार्केट में एक बड़ा हिस्सा हासिल करने का एक समयबद्ध लक्ष्य रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने इन पांचों उद्देश्यों के साथ इस बीबीएसएसएल की स्थापना की है और कुछ ही सालों में ये समिति विश्व में अपना नाम बनाएगी और देश के किसानों को प्रमाणित बीज उपलब्ध कराने में बहुत बड़ा योगदान देगी।
भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड के गठन को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद बहुत कम समय में प्रशिक्षण का कार्यक्रम पूरा कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि बीबीएसएसएल कृषि, बागवानी, डेयरी, मत्स्य पालन सहित अन्य सभी प्रकार की सहकारी समितियों की तरह प्राथमिक कृषि ऋण समिति (पीएसीएस) को भी बीज उत्पादन से जोड़ेगी।
पैक्स के माध्यम से हर किसान अपने खेत में बीज उत्पादन कर सकेगा, इसका सर्टिफिकेशन भी होगा और ब्राडिंग के बाद ना सिर्फ पूरे देश बल्कि विश्व में इस बीज को पहुंचाने में ये समिति योगदान देगी। उन्होंने कहा कि इस बीज सहकारी समिति का पूरा मुनाफा सीधे बीज उत्पादन करने वाले किसानों के बैंक खातों में जाएगा और यही सहकारिता का मूल मंत्र है।
शाह ने कहा, “आज भारत में ही बीजों की आवश्यकता लगभग 465 लाख क्विंटल है, जिसमें से 165 लाख क्विंटल सरकारी व्यवस्था से उत्पादित होता है और कोऑपरेटिव व्यवस्था से ये उत्पादन 1 प्रतिशत से भी नीचे है, हमें इस अनुपात को बदलना होगा।”
शाह ने कहा कि कोऑपरेटिव के माध्यम से बीज उत्पादन के साथ जो किसान जुड़ेंगे, उन्हें बीज का मुनाफा सीधे मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत के घरेलू बीज बाजार का वैश्विक बाज़ार में हिस्सा सिर्फ 4.5 प्रतिशत है, इसे बढ़ाने की ज़रूरत है और इसके लिए बहुत काम करना होगा। हमें इस भारतीय बीज सहकारी समिति के अगले 5 सालों के लक्ष्य तय करने होंगे।
उन्होंने कहा कि बीजनेटवर्क में आईसीएआर, 3 केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, 48 राज्य कृषि विश्वविद्यालय, 726 से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्र और केन्द्र और राज्यों की 72 सरकारी एजेंसियां जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि हमारी किसी से कोई स्पर्धा नहीं है, बल्कि हमारा लक्ष्य है कि मुनाफा किसान के पास पहुंचे, प्रमाणित बीजों का उत्पादन बढ़े और इनके निर्यात में भारत का हिस्सा बढ़े। उन्होंने कहा कि इन सभी संस्थाओं को साथ लेकर हम इस बीज कोऑपरेटिव के काम को आगे बढ़ाएंगे और अपने लक्षित सीड रिप्लेसमेंट रेट के प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस संस्था के मूल में इफको, कृभको, नेफेड, एनडीडीबी और एनसीडीसी को जोड़ा गया है जो एक प्रकार से किसान के खेत तक पहुंच रखती हैं। इन संस्थाओं के माध्यम से मल्टीफिकेशन बंद हो जाएगा और सभी सहकारी संस्थाएं एक ही दिशा में एक ही लक्ष्य के साथ एक ही रोड मैप पर काम करेंगी।
देश की तीन प्रमुख सहकारी समितियों- इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव लिमिटेड (इफको), कृषक भारती सहकारी लिमिटेड (कृभको) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) तथा भारत सरकार के दो प्रमुख वैधानिक निकाय- राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने संयुक्त रूप से बीबीएसएसएल को प्रमोट किया है।