केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि देश में अन्न भंडारण क्षमता की कमी की समस्या के समाधान के लिए सरकार ने दिनांक 31.05.2023 को ‘सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना’ को अनुमादित किया है जिसे एक पायलट परियोजना के रूप में देश के विभिन्न राज्यों/ संघ राज्यक्षेत्रों में आरंभ किया जा रहा है।
“राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) जैसे राष्ट्रीय स्तर के सहकारी संघों ने इस पायलट परियोजना के अंतर्गत भंडारण क्षमता के निर्माण के लिए 1,711 पैक्स की पहचान की है। वर्तमान में इस पायलट परियोजना के तहत 13 राज्यों/ संघ राज्यक्षेत्रों के 13 पैक्स में गोदामों का निर्माण कार्य चल रहा है”, उन्होंने आगे कहा।
इस योजना में कृषि अवसंरचना कोष, कृषि विपणन अवसंरचना, कृषि यांत्रिकीकरण पर उपमिशन, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना, इत्यादि जैसी भारत सरकार की विभिन्न मौजूदा योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से पैक्स के स्तर पर विकेंद्रीकृत गोदामों, कस्टम हाइरिंग केंद्रों, प्रसंस्करण इकाइयों, उचित मूल्य की दुकानों, इत्यादि सहित विभिन्न कृषि अवसंरचनाओं का निर्माण शामिल है।
इन योजनाओं के अंतर्गत पैक्स गोदामों/भंडारण सुविधाओं के निर्माण और अन्य कृषि अवसंरचनाओं की स्थापना में सब्सिडी और ब्याज अनुदान का लाभ ले सकते हैं। इसके अलावा, 2 करोड़ रुपए तक की परियोजनाओं पर AIF योजना के अंतर्गत 3% ब्याज अनुदान के लाभ को शामिल करके नाबार्ड द्वारा भी लगभग 1 प्रतिशत की अत्यधिक सब्सिडाइज्ड दर पर पैक्स को वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है ।
अतः, इस योजना का लक्ष्य पैक्स के व्यावसायिक कार्यकलापों में विविधता लाकर उनकी आर्थिक दशा को सुदृढ़ करना है और उन्हें आय के अतिरिक्त स्रोत प्रदान करके अंततः उनकी वित्तीय संवहनीयता में सुधार लाना है, शाह ने कहा।
देश में पंचायत/गांव के स्तर तक पर्याप्त भंडारण क्षमता के निर्माण द्वारा पैक्स स्तर पर विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता स्थापित करके फसल पश्चात् होने वाले नुकसान में कमी आएगी और खाद्य सुरक्षा सुदृढ़ होगी। इससे किसानों द्वारा कम दरों पर मजबूरन बिक्री की भी रोकथाम होगी और उन्हें अपनी फसलों का बेहतर मूल्य प्राप्त हो सकेगा।
चूंकि, पैक्स प्रापण केंद्र के साथ-साथ उचित मूल्य की दुकान के रूप में भी कार्य करेंगे, इसलिए प्रापण केंद्रो तक खाद्यान्न के परिवहन और पुन: भांडागारों से उचित मूल्य की दुकानों तक स्टॉक के परिवहन में होने वाले व्यय में भी बचत होगी।
किसान पैक्स में निर्मित गोदामों में अपनी उपज भंडारित कर सकेंगे और अगले फसल चक्र के लिए तात्कालिक वित्त प्राप्त कर इच्छानुसार समय पर उसे बेच सकेंगे, या न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर पैक्स को अपनी पूरी फसल बेच सकेंगे, जिससे उन्हें अपनी फसलों की कम दरों पर मजबूरन बिक्री नहीं करनी पड़ेगी ।